Sunday, March 22, 2009

लोकतंत्र में जूता या चप्पल तंत्र क्योँ ?

सम्पूर्ण मानव समाज के लिए ये बहुत ही शर्मसार सा विषय है की पहले अमेरिका के राष्ट्रपति मिस्टरबुश पर जूते का फेंका जाना और अब हमारे देश में उच्चतम न्यायालय के जज पर चप्पल का फेंका जाना एक अजीब दुर्घटना है इस घटना के लिए सम्पूर्ण विश्व समुदाय हतप्रभ और दुखी है ,और सबसे बड़ी दुःख की बात हम हिन्दुस्तानियों के लिए है क्योंकि हमारे संस्कार इस प्रकार के व्यवहार की अनुमति नही देते और वो भी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार एक शिक्षित और विदुषी महिला है ,अब प्रश्न उठता है की इस महिला ने आख़िर ऐसा क्योँ किया ये एक ऐसा विषय है उस पर हमारे आकाओं और राजनीतिज्ञों ,कानूनी विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ,न्यायाधीशों को गंभीरता से सोचना चाहिए और ऐसे क़ानून या प्रयत्न करने चाहिए की भविष्य में ऐसी दुर्घटना ना हो ,जहाँ तक मेरी सोच है उसके मुताबिक हमारी न्याय प्रकिर्या में ही दोष है क्योंकि न्याय पाना आज की तारीख में मुश्किल हो गया है पहली बात तो है कि कोई भी अच्छा व्यक्ति कोर्ट कछेरी जाना नही चाहता परन्तु फ़िर भी घटिया किस्म के लोग उनको कानूनी प्रकिर्या में कहीं ना कहीं फंसाकर कोर्ट जाने को मजबूर कर देते है और कोर्ट के चक्कर पे चक्कर लगाता ,तारीखे भुगतता ,वकीलों कि ची चापद सुनता सुनता ,पैसे खर्च करता हुआ और ऊपर से जजों के द्बारा २ मिनट में बिना कुछ ढंगसे सुने फाइल आगे बड़ा देना और तारख पर तारीखे देना और न्याय पाने में बहुत देरी का हो जाना कभी कभी तो पूरी जिन्दगी ही गुजर जाती है और न्याय नही मिल पाताऔर वसीयत में बच्चों को भी मुकद्दमे ही देकर जाता है किसी भी शरीफ स्त्री या पुरूष को भिखारी बनाने के साथ साथ पागल भी कर देता है ऐसा जूते ,चप्पल फेंकने का कार्य वो इसी स्तर पर पहुचने के बाद करता है और उसके बाद कोर्ट या तो उसे जेल भेज देता है अथवा पागलखाने में भरती करा देता है पर उसकी पीडा ,कष्ट ,हालत को कोई भी नहीं सोचता अत; मेरी सभी से ये प्रार्थना है कि ये भी देखें कि इस सबके लिए दोषी कौन है ,और यदि न्याय प्रकिर्या दोषी है तो उसमे सुधार करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाए जन्म ना ले , हमारे हिसाब से न्याय प्रकिर्या को त्वरित और अति शीघ्र बनाया जाए ताकि हर गरीब औरमजलूम आदमी मानसिक संतुलन खोने से पहले न्याय पा सके

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