अभी तक देश में चुनाव हुए बामुश्किल १०० दिन ही बीते होंगे परन्तु महंगाई ने अपना मक्कड़ जाल इस प्रकार फेला दिया है की कोई भी वस्तु अपने पहले के दामों से दुगुने दामों पर भी मुश्किल से मिल पा रही है और उसको भी वाही लोग ले पा रहे हैं जो की मालदार हैं यानि के मध्यम दर्जे वालों के बसका भी खरीद पाना मील का पत्थर हो रहा है फ़िर निर्धन तो बेचारा रात को भूखा ही सोयेगा और यदि रोटी खा भी लेगा तो नमक से ज्यादा उसको कुछ नहीं मिलने वाला क्योंकि आज आलू किम चटनी भी दस रूपये से कम में नही बनती और सब्जी का तो मतलब ही नहीं क्योंकिम चार रूपये किलो वाला आलू अब चालीस रूपये किलो बिक रहा है ,और दस रूपये वाला गुड चालीस रूपये किलो मिल रहा है तो भला मजदूर आदमी किस प्रकार से खाना खायेगा क्योंकि दस रूपये किलो का आता भी बीस रूपये से कम नहीं है चीनी भी चालीस रूपये किलो से कम नहीं है और उसकी तनखा में कोई इजाफा नहीं हुआ
इसके बावजूद भी सरकार कुछ नहीं कर रही और सरकार भी क्या करे ,ये तो सब प्रभु की किरपा है
Saturday, September 26, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment