अक्सर शरीफ आदमी खासतोर प़र जिस आदमी को ,पुलिस या कुछ बेईमान लोगों के द्वारा किसी भी केस में फंसाकर ,उसे ब्लेक मेल या उसकी प्रापर्टी आदि को किसी ना किसी तरह हड़पने कि कोशिस कि जाती है ,वो आदमी क़ानून का सहारा लेने को ,और अपने आपको गिरफ्तारी से बचाने के लिए कोर्ट कि शरण लेता है ,ताकि उसे कुछ रिलीफ मिले ,जिसे एंटीसिपेट्री या एडवांस बेल कहा जाता है ,प़र कोर्ट के ला के मुताबिक़ जिस थाणे का केस होता है ,और जिस आई ओ का केस होता है उसको सूचित कर कोर्ट बुलाया जाता है ,और वो आई ओ उस शिकायत करता को भी साथ बुला लाता है और वो अपने साथ २ वकील भी ले आता है ,एक सरकारी वकील भी होता है इस प्रकार वो तीनो वकील कोई ढंग या क़ानून कि बात ना कहकर बेमतलब कि बाते करके जज को इम्प्रेस करने कि कोशिश करते है और जज साहब भी बेल हेतु गाइड लाइन बिना देखे इनकी बातो प़र यकीन करके बेल नहीं देते ,और एक शरीफ आदमी इन लोगों का शिकार हो जाता है ,और उनकी कोशिस होती है कि वो उस व्यक्ति कि बेल ही ना होने दें और जब उनका कार्य हो जाए तो फिर देखा जायगा ,और यही हाल रेगुलर बेल के समय भी होता है ,यद्यपि क़ानून के मुताबिक़ कुछ गाइड लाइन है जिनके बेश प़र दोनों प्रकार कि बेल मिल सकती है ,कुछ वकीलों और जजों से वार्तालाप के मुताबिक़ निम्नलिखित बाते बेल हेतु गाइड लाइन हैं जिनको देखकर बेल दी जा सकती है
गाइड लाइंस -----------------
क्या बेल मांगने वाले ने पहले भी कोई अपराध किया है 'समाज में उसका क्या स्थान है ,
कहीं उसे किसी झूठे केस में तो नहीं फंसाया जा रहा है ,केस कि अच्छी तरह से छानबीन करके देखें ,
क्या वो पुलिश इन्क्वारी में सहयोग दे रहा है ,जब भी थाणे बुलाया जाता है ,पहुंचता है या नहीं ,
क्या बेल लेने के बाद भाग तो नहीं जाएगा ,उसके पास पासपोर्ट ,वीसा है या नहीं ,
बेल लेने के बाद गवाहों को बहलायेगा ,फुस्लायेगा ,या धमकियां देकर अपने पक्ष में तो करने कि कोशिश तो नहीं करेगा ,
उसकी अपनी वर्थ क्या है ,
केवल उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर अगर बेल का निपटारा किया जाय तो जेलों में शरीफ आदमी जाने से बच जायेंगे ,भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी और लोकतंत्र के हित में रहकर न्याय पालिका में भी जनता का विश्वास बढेगा ,मैं पहले भी लिख चुका हूँ कि जेल में एक व्यक्ति प़र प्रितिदीन २३७ रुपया का खर्च आता है ,और जेल कि व्यवस्था अलग से करनी पड़ती है ,और सच मानो तो जेलों को भरकर कुछ हासिल होने वाला भी
नहीं है
गाइड लाइंस
गाइड लाइंस -----------------
क्या बेल मांगने वाले ने पहले भी कोई अपराध किया है 'समाज में उसका क्या स्थान है ,
कहीं उसे किसी झूठे केस में तो नहीं फंसाया जा रहा है ,केस कि अच्छी तरह से छानबीन करके देखें ,
क्या वो पुलिश इन्क्वारी में सहयोग दे रहा है ,जब भी थाणे बुलाया जाता है ,पहुंचता है या नहीं ,
क्या बेल लेने के बाद भाग तो नहीं जाएगा ,उसके पास पासपोर्ट ,वीसा है या नहीं ,
बेल लेने के बाद गवाहों को बहलायेगा ,फुस्लायेगा ,या धमकियां देकर अपने पक्ष में तो करने कि कोशिश तो नहीं करेगा ,
उसकी अपनी वर्थ क्या है ,
केवल उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर अगर बेल का निपटारा किया जाय तो जेलों में शरीफ आदमी जाने से बच जायेंगे ,भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी और लोकतंत्र के हित में रहकर न्याय पालिका में भी जनता का विश्वास बढेगा ,मैं पहले भी लिख चुका हूँ कि जेल में एक व्यक्ति प़र प्रितिदीन २३७ रुपया का खर्च आता है ,और जेल कि व्यवस्था अलग से करनी पड़ती है ,और सच मानो तो जेलों को भरकर कुछ हासिल होने वाला भी
नहीं है
गाइड लाइंस
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