जब बर्दाश्त की हद हो जाती है तो,
पेड़ उखड जातें है
पहाड़ टूट जाते हैं
बादल फट जाते हैं ,
और महल ढह जाते हैं ।
हवाओं के चलने से
पर्वतों में सुराख नहीं हो जाते
बल्कि वो सशक्त हो जाते हैं
तूफानी हवाओं को झेलने हेतु ।
पेड़ उखड जातें है
पहाड़ टूट जाते हैं
बादल फट जाते हैं ,
और महल ढह जाते हैं ।
हवाओं के चलने से
पर्वतों में सुराख नहीं हो जाते
बल्कि वो सशक्त हो जाते हैं
तूफानी हवाओं को झेलने हेतु ।
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