पर उपदेश कुशल बहुतेरे
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देश में कोई ऐसा व्यक्ति बताइये जिसने एक गरीब कन्या को कभी सम्मान नहीं दिया और उसके पिता को अपनी हठधर्मी के कारण मरने को भी मजबूर कर दिया हो और फिर शादी के बाद ही उसे तिल तिल कर मरने हेतु समाज में छोड़ दिया हो और ये भी ना सोचा हो की वो गरीब कन्या अपनी पहाड़ जैसी जिंदगी बिना अपने पति के कैसे गुजारेगी ,जब की उसका कोई सहारा ना हो और उसके पास कोई धन दौलत भी ना हो और वो भी समंय में जब की परित्यक्ता को कोई मान सम्मान भी ना देता हो और उसे बड़ी ओछी नजरों से देखा जाता हो ,और तो और एक बहुत बड़े मुकाम पर पहुँचने के बाद भी उसे कभी घास ना डाली हो ,और जनता को अच्छी शिक्षा देता हो कि कन्याओं के लिए ये करो वो करो ,परन्तु अपने गिरहबान में कभी झांककर नहीं देखा हो,क्या ऐसा व्यक्ति समाज में सम्मान पाने का अधिकारी है ,शायद आप कहेंगे नहीं ,परन्तु आप और हम जैसे व्यक्ति ही जो सभ्य समाज के अंग है उसे मान सम्मान दे रहे हैं क्या ये न्यायोचित है |
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