खुदा खैर करे उन नाजायज ओलादों पर
जो बाप को भी बाप नहीं कह सकते हैं |
हवस के कितने ही भूखे भेड़िये मिल जाएंगे
जो ओलाद के होते हुए बेओलाद ही रहते हैं |
तन के सुख के लिए जो मन को बैचेन कर लेते हैं
क्षणिक सुख की खातिर जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं |
नाजायज ओलादों को ही हम वर्ण संकर कहते हैं
पर उनका क्या दोष ,वो कामुकता का फल होते हैं |
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