Friday, February 27, 2009

देश में ९७% लघु उद्योग भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के शिकार

देश में मझोले एवं छोटे उद्योगों की संख्या लगभग १.२८ करोड़ है जिनमे लगभग ३.१२ करोड़ लोग काम कर रहे हैं इनमे से ९०%छोटे उद्योगों से सम्बंधित हैं ये उद्योग देश के विनिर्माण उत्पादन में ३९% का योगदान कर रहे हैं ,कुल निर्यात में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी ४०% है ,पिछले साल अक्टूबर के बाद से इन उद्योगों की मांग में लगभग ३०% की कमी हुई है खरीददारों से भुगतान रुकने के कारण भी इन्हे समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ,इससे वो बैंकिंग वितरण ,और वित्तीय सम्बन्धी परेशानियों से दो चार हो रहे हैं बल्कि पिछडे क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि विकसित क्षेत्रों में भी जैसे टेक्सटाइल ,ज्वेल्लारी इंजिनीरिंग ,लेठेर ,रबर प्लास्टिक ,ओतोमोबिले ,चेमिकाल्स आदि उद्योगों की इकाइयां बेहाल हो रही हैं ,एस एम् ई पर अध्ययन करने वाले संगठन मिलाग्री बिजनेस एंड नालेज सॉल्यूशन पी लिमिटिड की रिपोर्ट के मुताबिक मंदी के बावजूद देश के लगभग ९७% ऐसे उद्योग भर्ष्टाचार या रिश्वत खोरी के शिकार हो रहे हैं यानी की मंदी की मार झेलने के बावजूद भी उन्हें घूसखोरी में रियायत नहीं मिल रही ,इन उद्योगों की ७०या ८०% इकाइयां सरकारी नीतियों और राहत एवं सुविधाओं से अनजान हैं और ६५%इकाइयां बुनियादी सुविधाओं के अभाव में दिक्कतों का सामना कर रही हैं
भारत सरकार के अध्ययन के अनुसार मंदी की मार के कारण छोटे और मझोले उद्योगों का उत्पादन घाट रहा है क्योकि डिमांड है ही नही जिसके कारण उद्योगों से मजदूरों की छटनी हो रही है और बहुत बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हो रहे है है अब बच्चे तो उन्होंने ने भी पालने हैं जिसके लिए या तो वो अपराध करने की और भाग रहे हैं या आत्महत्या तक कर रहे हैं ,और सरकार के पास भी इसका कोई कारगर उपाय भी नहीं है ,अत; हमारी सरकार से करबद्ध प्रार्थना है की वो किसी भी प्रकार इन गरीब और असाही मजदूरों की भरपूर सहायता करे और अगर सरकार समझती है की मुमकिन है तो मंदी के समय तक और नहीं कुछ बेरोजगारी भत्ता ही बाँध देवे ताकि उनका और उनके बच्चों का गुजारा तो हो (कुछ समाचार ,समाचार पत्र सहयोग से )

2 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

मैं आपके विचारून से पूर्ण सहमत हूँ भारत में जो कुछ लघु उद्योगों के साथ व्यवहार है उसी का नतीजा है हमारा पिछडापन भले हम (हमारी सरकार) मीडिया में विज्ञापन दे देकर झूठा भ्रामक प्रचार करती रहे | इसके ठीक उलट उद्दहरण चीन का हमारे समक्ष है जिसने अभूतपूर्व तरक्क्के की है

222222222222 said...

अपने देश में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की परंपरा पुरानी रही है।