Sunday, March 1, 2009

लोकतंत्र में चुनावों से पहले कि स्थिति

लोकतंत्र में आज चुनावों से पहले की दलगत स्थिति देखकर तो लगता है की सभी बड़े बड़े दल छोटे दलों को नए नए प्रलोभन दिखाकर अपने समर्थन में लाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि चुनाव के बाद सरकार बनाने में उन्हें परेशानी का सामना ना करना पड़े और वो भी अभी बड़े दलों को भाव नही दे रहे है क्योंकि वो भी तो चुनाव के बाद की स्थिति देखकर ही अपना मुख खोलेंगे की क्या क्या चाहिए कौन सा मंत्री पद चाहिए ,क्या जनता अपने अपने इलाको से इन लोगों को इसी लिए चुनकर भेजती है किचुने जाने के बाद ये लोग खरीद फरोक्त में शामिल हो जाए और क्षेत्र कि जनता के बारे में ना सोचकर केवल अपने या अपने परिवार के ही बारे में सोचे और ज्यादा करेंगे तो इलाके में नहीं जायेंगे ,हर बार जनता से ऐसे ही उनका कीमती वोट लूटकर ले जाते रहेंगे और जनता हाथ मालती रहेगी पिछले ६० वर्षों से यही तो जनता के साथ हो रहा है पर जनता है कि इन होर्से ट्रेडिंग में शामिल होने वालो हर बार नाम बदलकर आने पर ही घोडो पर बिठा देती है जब तक देश में ये होता रहेगा तब तक देश का दुर्भाग्य ही है अत; हमारी जनता से अपील है कि वो उन्ही लोगों को चुनाव में जिताए जिनसे ये पक्की उम्मीद हो कि वो खरीद बेच में शामिल ना होकर अपने क्षेत्र कि जनता कि भलाई के लिए कार्य करेंगे ,,यदि जनता ऐसा नही करेगी तो भारत में लोकतंत्र कि स्थिति बद से बदतर हो जायेगी ,,,

2 comments:

Udan Tashtari said...

किससे क्या उम्मीद करें?

Sanjeev Mishra said...

chauhaan saahab aapne ek bahut jwalant mudda uthaya hai.lagta hai ab samay aa gaya hai jab hamen apni chunaav pranaali ke vishay men dubaara sochna chaahiye taaki jo sab yah ho raha hai use roka jaa sake.