Tuesday, April 7, 2009

भारत के लोकतंत्र में चप्पल के बाद जूता भी

अभी कुछ समय पहले एक न्यायाधीश पर एक शिक्षिका के द्बारा चप्पल फेंके जाने की घटना और आज गृहमंत्री श्री चिदम्बरम जी पर एक पत्रकार द्वारा जूता फेंका जाना वैसे तो हमारे देश के लिए बड़ी शर्म महसूस करने वाली बात है परन्तु सवाल ये उठता है कि कि ऐसी क्या परिस्थिति थी कि एक समझदार पत्रकार को ऐसा कदम उठाना पडा कि वो अपने संस्कारों तक को भूल गया ,और ऐसा तभी होता है जब कोई बात मानव के अंतर्मन को अन्दर तक बींध जाती है ,ऐसा ही शायद पत्रकार के साथ हुआ कि मंत्री जी कि कोई बात उसे पसंद नहीं आई या मंत्री जी कि बात ने उसे विशेष पीडा पहुंचाई जिसके कारण वो स्वयम पर अंकुश ना लगा सका ,चलो आज तो मत्री जी ने चुनावी माहोल को खराब ना करने या एक कोम्युनिटी के वोट पाने हेतु ,पत्रकार को माफ़ कर दिया परन्तु सोचने का विषय है कि यदि चुनाव सिर पर ना होते तो क्या पत्रकार महोदय को मंत्री जी माफ़ कर देते मेरे विचार से तो कदापि नहीं ,दरअसल ये घटना महज इस वजह से हुई कि आज राजनीति केवल सरकारी दफ्तरों तक ही नहीं बल्कि उसने धीरे धीरे न्याय प्रकिर्या को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है तभी तो बड़े से बड़े केसेस में भी बड़े बड़े नेता साफ़ छुट जाते हैं किसी पर कोई ठोस मुकदमा ही नहीं बनता और वो साफ़ छूट जाता है शायद ऐसी ही सोच पत्रकार कि रही होगी टाइटलर जी के बारे में ,इस लिए उसने वो काण्ड कर दिया ,पर हमारा कहने का तात्पर्य है कि ऐसा कब तक चलेगा ,सरकार देश वासियों कि भावनाओं से कब तक खेलती रहेंगी ,क्या जब तक कि सम्पूर्ण जनता ऐसे कदम उठाने के लिए बाध्य ना होगी ,उसका भी क्या फायदा जब पानी सिर से ही उतर जाए ,तो लोकतंत्र को बचाने के लिए सरकार को ऐसी घटनाओं से सबक सीखना चाहिए और यदि सरकार ने जल्दी ही सबक ना लिया तो देश के लिए ये जूते चप्पलों कि बरसात नयी मुसीबते कड़ी हो जायेंगी वेसे भी आज देश का प्रत्येक नागरिक न्याय व्यवस्था और न्यायाधीशों के द्वारा फैसलों में देरी पर देरी तारीख पर तारीख ,और एक मुकदमा पड़ते ही दस और मुकद्दमे फैसलों के कारण पद जाने और बिना सोचे समझे ,मुकद्दमे कोर्ट में डलवा लेने के कारण आम आदमी तो दुखी है परन्तु पैसे वाले लोग या नेता ,अथवा क्रिमिनल प्रक्रति के लोग ,और वकील तो पूरी तरह खुश हैं क्योंकि ये तो हर शरीफ आदमी को कोर्ट में लटका कर रखके प्रेस्सर बना कर रखना चाहते हैं ताकि जैसा वोचाहे वैसा होता रहे ,शायद ये जूते चापल सरकार और न्याय प्रकिर्या को अपना विरोध इसी प्रकार पर्दर्शित करना चाहते हैं

1 comment:

Unknown said...

aapki is post ko ratlam, Jhabua(M.P.), dahood(Gujarat) se Prakashit Danik Prasaran me prakashit karane ja rahan hoon.

kripaya, aap apan postal addres send karen, taki aapko ek prati pahoonchayi ja saken.

pan_vya@yahoo.co.in