Monday, January 4, 2010

वाह रे महंगाई तू कहाँ से आई

आज भारत का प्रत्येक व्यक्ति महंगाई की अभूतपूर्व मार से इतना त्रस्त है की उसकी कुछ बानगियाँ प्रदर्शित करना ज़रूरी हो गया है ताकि सरकार के कानों तक किसी तरह से पहुंचे और शायद सरकार के कानों पर जूं रेंगने लगें और उससे पीड़ित जनता का कुछ भला हो जाए पर होने वाला नहीं लगता क्योंकि सरकार के पास ये सब देखने ,सुनने के लिए समय कहाँ है क्योंकि उनको तो बड़ी बड़ी तनखा और ऊपर से महंगाई भत्ता और ना जाने कितने एलाउंस आदि मिल जाते हैं पर गरईब आदमी जिसको केवल ५हजार रुपया मिलता है और दो मियाँ बीबी और दो ही बच्चे हैं यानी के चार प्राणी ज़रा सोचो एक के हिस्से में क्या आता होगा यदि एक जन एक समय में २५० ग्राम आटा सूखा खाता है तो दो समय में टोटल ५०० ग्राम आटा हो गया इस तरह ४ सदस्यों के लिए एक दिन का टोटल २ किलो और एक माह का ६० किलो जिसकी कीमत २५ रुपया किलो से हो गए १५०० रुपया ,और एक दिन में एक सदस्य के लिए दोनों समय में २०० ग्राम दाल तो चाहिए इस तरह ८०० ग्राम दाल प्रत्येक दिन इसलिए एक माह के लिए २४किलो कोई भी दाल ,किसी भी दाल की कीमत ५० से १०० रूपये तक यदि हम ५० रूपये किलो भी लगा लें तो भी हो गए १२०० रूपये , अब घर का हर सदस्य दिन में सुबह शाम तो चाय पिएगा ही सो ८ कप चाय हो गए इस तरह एक माह में २४० कप चाय हो गयी यदि इस महंगाई के समय में जब की चीनी की कीमत भी ४० रुपया किलो हो और चाय की कीमत २५० रुपया किलो हो तो एक कप चाय ४ रूपये से कम क्या पड़ेगी इस तरह१००० रूपये की चाय हो गयी ,इस प्रकार जहां पर आदमी नौकरी करने जायगा तो कम कम से कम १०००या १२०० रुपया तो कनवेंस ही चाहिए अब आप टोटल कर लीजिये उसका ५०००रुप्या तो आने जाने ,दाल रोटी (सूखी ) खाने में निकल जाएगा ,अब बताइये की वो किस तरह से अपने दोनों बच्चों को पदायेगा ,कपडे कहाँ से पहिनायेगा ,सब्जी जो की पोषानता के लिए बहुत जरूरी है कैसे खिलाएगा झुग्गी में भी रखेगा तो पैसे कहाँ से लाएगा ,या सड़क पर बीबी समेत बच्चों को सर्दी के मौसम सुलाएगा तो कैसे सुलाएगा ,वहाँ पर भी कोई पुलिश वाला कैसे सोने देगा ,अब इस महंगाई के मौसम में कोई भगवान् तो आकाश से उतर कर इन गरीब परिवार या उनके परिवार वालों को कुछ देने के लिए आयेगा नहीं ,सोचना तो सरकार को ही पडेगा क्यूंकि इनकी वोट से सरकार तो शासन करने वालों की ही बनेगी पर सरकार सोचती है की वोट लेने का समय तो अब ५वर्श बाद ही आयेगा इसलिए जब तक मर गया तो मर गया और यदि किस्मत से बच गया तो फिर हमारे लुभावनी बातों (वायदों )में आ ही जाएगा और वोट तो हमें नहीं तो किसी और पार्टी को देकर आयेगा और यदि ये ससूरे वोट नहीं भी देंगे तो कोई बात नहीं इन्हीं की खाली वोटों से कोई सरकार बनती है और भी बहुत तिकड़म लगानी पड़ती हैं ,पर सोनिया मैया जी ,और शीला मैया जी से हम तो यही निवेदन करेंगे की इनका ख़याल जरूर रखो ये आने वाले समय में हमको राजगद्दी पर बिठाएँगे ,वरना ऐसे ही महंगाई बदती रही तो या तो ये बेचारे बच्चों समेत भूखे मर जायेंगे या फिर इतना उग्र रूप धारण कर लेंगे की सरकार को बदल कर ही दम लेंगे ,इनकी ताकत बहुत बड़ी है इसलिए अभी चेत जाओ तो हमारे तुम्हारे और देश के लिए अच्छा रहेगा खुद भी सुखी रहो और जनता को भी सुखी रखो ,बाकी जैसी आप लोगों की इच्छा ,महंगाई को मार दोगे तो गरीब ज़िंदा रहेगा ,वरना तो हमारा तुम्हारा और इस देश का भगवान् ही मालिक ,

1 comment:

Udan Tashtari said...

काश!! जरुरी कानों तक बात पहुँचें.


’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’