Wednesday, January 6, 2010

एम् सी डी के लापता २२००० कर्मचारी

ये सुनकर अफ़सोस भी होता है और अचम्भा भी की हर माह इतनी मोटी तनखा लेकर भी एम् सी डी के २२००० कर्मचारी रातों रात कहाँ चले गए क्या उनको धरती खा गयी या हवा में उड़ गए शायद ही भारत के इतिहास में तो क्या भर्ष्टाचार का ऐसा उदाहरण सम्पूर्ण संसार के किसी भी डिपार्टमेंट में शायद कभी आज तक नहीं हुआ होगा और मजे की बात देखिये की उसी डिपार्टमेंट के अधिकारियों को बोला जा रहा है की कर्मचारियों को जल्दी से जल्दी तलाश करो और रजिस्टर में दिखाओ ,अब समस्या ये है की कभी उन कर्मचारियों की भर्ती हुई हो तो आये भी ,जब कभी भर्ती ही नहीं हुए तो कर्मचारी क्या और कैसे पैदा हो जाएँ ,भाई ये तो सारे के सारे फर्जी कर्मचारी थे जो केवल रजिस्टर तक या तनखा लेने तक सिमित थे बाकी तो उनका इस दुनिया जहां में कहीं उनका अस्तित्व ही नहीं था और ये काम कोई आज का थोड़े ही है ये तो भाई जब से एम् सी डी बनी है तभी से बराबर चल रहा है चाहे सरकार कीई की भी आती रही या जाती रही उससे कोई फर्क थोड़े ही पड़ता था ,सरकार ही तो बदलती थी कोई कर्मचारी या इन्स्पेक्टर या अभियंता अथवा पर्शासन अधिकारी थोड़े ही बदलते थे ,पहले गए दुसरे आ गए जो पहले खा रहे थे अब उनका चारा नए आने वाले खाने लगे ये तो एक रूटीन वर्क था सो चलता रहता था हाँ इतना जरूर था की हर वर्ष कर्मचारियों की भर्ती भी होती रहती थी क्योंकि हर पशु का चारा पहले वाले से दुसरे वाले पशु को कम पड़ता था ,शुरू में दो चार हजार थे बाद में बड़ते बड़ते २२००० तक पहुँच गए ,इन कर्मचारियों की फर्जी भारती फर्जी तनखा में मुख्य रोल मेट ,दरोगा जी का होता था पर पैसा सभी मिलजुलकर यानी के छोटे अधिकारी से लेकर मुख्या प्रशासन अधिकारी निदेशक तक और राजनीतिज्ञों में पार्षद तक खूब खाते थे और पार्षदों का तो मुख्या स्रोत आय का यही था ,इन सभी के हिस्सों में लाखों रुपया महीने का आता था

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