Thursday, February 4, 2010
महाराष्ट्र में जो हो रहा है क्या वो भी लोकतंत्र का हिस्सा है ?
मैं आप सभी ब्लोगेर्स और देश की जनता से पूछना चाहता हूँ की क्या जो सब कुछ बॉम्बे (महाराष्ट्र )में हो रहा है क्या वो हमारे लोकतंत्र को अधिक मजबूत बनाता है या दिन प्रितिदीन बड़े बड़े नेताओं के भाषणों ,धमकियों ,तोड़फोड़ या भाषाओं का सीखने या गैरमराठियों को मुंबई छोडो जैसे नारों से क्या वहाँ की शान्ति भंग नहीं होती या व्यापार प्रभावित नहीं होते क्या उससे सरकार को करोडो रूपये का नुक्सान ना होता होगा इसकी भरपाई कौन करेगा ,क्या महाराष्ट्र की उन्नति में मुकेश अम्बानी ,अमिताभ बच्चन ,आमिर खान या शाहरुख खान का कोई सहयोग नहीं है ,क्या ये लोग करोडो रूपये का टेक्स वहाँ की सरकार को नहीं देते या आज जो बालीवुड का नाम मुंबई को मिला है इसमें कितना हाथ इन लोगों का है और कितना हाथ इन राजनीति पार्टियों का ,जिनके मुखिया बाबा बालठाकरे जी ,उद्धव ठाकरे जी ,अथवा राजठाकरे जी का ,या महाराष्ट्र (मुंबई )में आकर दूरदराज भारत के क्षेत्रों से आये मजदूरों का ,जो केवल रोटी रोजी कमाते हैं और म्हणत मजदूरी करके वहाँ की सौन्दर्यता में चार चाँद लगाकर वापस एक दिन अपने अपने ग्रामों को चले जाते हैं ,क्या लोकतंत्र के हिसाब से भी महाराष्ट्र केवल महाराष्ट्रियों के लिए ही नहीं बनाया गया बल्कि वो तो भारत का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जहों पर प्रत्येक भारत वासी की आत्मा वास करती है क्योंकि इकोनोमी द्रष्टि से भी वो भारत का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जो की देश की लगभग २५%आर्थिक शक्ति का हिमायती है ,यदि आज महाराष्ट्र से अपने देश के सभी कामगार व्यापारी ,उद्योगपति शर्होल्डर मिल मालिक एक्टर ,एक्ट्रेस वहां से अपने कारोबार धंधे बंद कर दें तो वहाँ का अस्तित्व क्या रह जाएगा ,मेरे विचारों में भी महाराष्ट्र किसी एक का नहीं बल्कि देश की सम्पूर्ण जनता का है ,हम सभी प्रादेशिक नहीं बल्कि भारतवासी हैं ,
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