Friday, February 26, 2010
आखिर कैसा लोकतंत्र है यहाँ
भारत जैसे लोकतंत्र में देश का एक महान आर्टिस्ट जिसको की केवल हिन्दुस्तान में ही उसे महान आर्टिस्ट का रुतवा नहीं दिया बल्कि सम्पूर्ण दुनिया ने उनको महान आर्टिस्ट ,कलाकार का खिताब दिया हुआ है जी हाँ हम बात कर रह हैं श्रीमान मकबूल फ़िदा हुसैन जी की जिनकी एक एक कलाक्रति की कीमत करोड़ों में है और उनकी आयु इस समय लगभग ९५ वर्ष है और इश्वर की अनुकम्पा से वो आज भी काफी तरोताजा दिखाई देते है प़र आज उनको सबसे बड़ा रंज ,दुःख इस बात का है की जिस देश को उन्होंने बहुत कुछ दिया अपने देश को दुनिया के परदे प़र अदमितकराया और उसके नाम का परचम दुनिया भर में फहराया ,आज उसी देश से वो निर्वासित हैं और पिछले ४ सालों से कभी यु के तो कभी गल्फ देशो में आजाकर जिन्दगी व्यतीत कर रहे है ;क्योंकि हिन्दुस्तान में आना उनको मुनासिब नहीं है क्योंकि यहाँ प़र उनके खिलाफ लगभग ९०० मुकद्दमे देश की अलग अलग अदालतों में लंबित पड़े हैं और यहाँ की सरकार भी शायद उनको कोईसंरक्ष्ण नहीं दे पा रही है तो बताओ वो कैसे आये अभी सूना हैकी क़तर उनको अपने यहाँ नागरिकता दे रहा है प़र वो लेनी नहीं चाह रहे क्योंकि वो अपना अंतिम समय सुख चैन से अपनी मात्रभूमि में बिताना चाहते है यहाँ की मिटटी की भीनी भीनी खुशबु उनको यहाँ आने के लिए प्रेरित कर रही है इस लिए सरकार को चाहिए की इस महान आर्टिस्ट को बाइज्जत अपने देश में बुलाये और जो बिनामत्लब के मुकद्दमे उनपर पड़े हैं उनसे उनको निजात दिलवाई जाए ,ताकि देश के एनी कलाकार भी अपने आप को भारत में महफूज समझे और बिना किसी दहसत के अपना जीवन यापन करें ,यदि भारत में लोकतंत्र को जीवित रखना है तो देश की प्रत्येक विभूति को स;सम्मान रखा जाना चाहिए
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