Saturday, February 27, 2010

क्या यही भारत का लोकतंत्र है

कुछ गरीब बच्चौं को मीठे की दूकान प़र
झूठे दौने चाटते देखकर कर
कुछ खाकर दौने फैंकने वाले कहते हैं
ये दौनों में अपनी किस्मत ढूंड रहे हैं ,
वास्तव में वास्तविकता ये है
आजादी के ६० वर्ष बाद भी
भारत जैसे लोकतंत्र में
बच्चे गरीबी की तस्वीर देख रहे हैं ,
कुछ विदेशी उन बच्चौं को
एक एक दौना मिष्ठान दिला
हमारे लोकतंत्र को उजागर करती
बच्चौं की तस्वीर ले रहे हैं ,
ताकि अपने देश में जाकर
उन तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाकर
भारत की छवि धूमिल कर
लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहे हैं ,
और भारत के लोकतंत्र रक्षक
गरीबों की किस्मत भुनाकर
चुनाव के समय तालियाँ बजवाकर
उनकी रक्षा का दम भर रहे हैं ,
क्या यही हमारा लोकतंत्र है
जहां देश का बच्चा भी परतंत्र है
या उनके अभिभावक मजबूरी देख
आत्मा मसोस रुद्रों से रो रहे हैं

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