Friday, June 18, 2010

कोर्ट ने कहा ,बेशर्म है खाकी,दिनांक १८,६,१०,नव भारत टाइम्स

निम्नलिखित टिप्पड़ियां हैं दिल्ली के हाई कोर्ट के जज धींगरा साहब कि ,वास्तव में जो उन्होंने कहा है यही दिल्ली पुलिश कि वास्तविकता है
१ बॉस के कुत्ते को तलाशने के लिए पुलिश पूरा शहर छान मारती है{ ,लेकिन लोगों को सुरक्षा नहीं दे सकती }
२ आपके पास में शर्म नाम कि ही कोई चीज ही नहीं है (तो इंसानियत कि उम्मीद आपसे क्या कि जाए )
३ सिर्फ कुछ पैसों ?के लिए पुलिश इतनी संवेदन हीन कैसे हो सकती है ?आनर किलिंग के लिए घरवालों के साथ मिल जाती है )
४ क्या आप अपनी कारगुजारियों से आम नागरिकों को अपराधी बन्ने के लिए मजबूर कर रहे हैं
५ कपल घर से भागता है तो आप ३७६ (रेप )का केश दर्ज कर देते हैं और जहां ऐसा करना चाहिए वहाँ नहीं करते
अब कुछ टिप्पड़ियां पुलिश के बारे में जनता जनार्दन कि भी देखिये
१ पुलिश को तो बस पैसा चाहिए वो देकर कुछ भी करा लो ,
२इन्के लिए तो पैसा ही माई बाप है ,पैसों के लिए तो ये अपने माँ बाप को भी नहीं बख्सते ,
३ देश में जितने अपराध बढ़ रहे हैं उनके लिए पुलिश ही जिम्मेदार है और जितने अपराधी बन रहे हैं उनको बनाने वाले भी ये पुलिश वाले ही हैं ,
इनके जाल में जो १ बार फंस गया उसको तो ये पूरा अपराधी १० नम्बरी बनाकर ही दम लेते हैं ,
५ चोर डाकू बदमाशों के बल प़र तो इनकी दुकानदारी चलती है ,यदि वो ही नहीं बनेंगे तो ये करोडपति कैसे बनेंगे ,
६ चोर ,डाकू ,बदमाश और लुटेरों कि गिनती के हिसाब से तो थानों कि बोलियाँ लगाईं जाती हैं ,
७ ज्यादातर शरीफ किशोरों और शरीफ आदमियों को बदमाश और लुटेरे बनाने का मुख्य कार्य है इनका ,
चोर बदमाशों के कहने प़र शरीफ और पैसे वाले लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर उनसे पैसा वसूलना इनका मुख्य धंधा है यदि वो मालदार आदमी इनको पैसे नहीं देते तो उनको किसी भी तरह केस बनाकर जेल कि हवा भी खिलाते हैं और उनके दोजिअर जरूर बनवाते हैं ,यानी के पक्के बा बना देते हैं ,
८ जब भी इनको पैसे आदि कि जरूरत होती है तो किसी भी राहगीर चलते आदमी को उठा कर थाणे ले जाते हैं और फिर भय दिखाकर पैसे वसूलते हैं ,इनके पास गया हुआ व्यक्ति बिना पैसे दिए वापस अपने घर नहीं लोटता ,
९ जब ये किसी उच्च प्रितिष्ठित ,या धनि आदमी को उठाते हैं तो लगभग सभी पुलिश वाले अपने हाथ जरूर उसपर आजमाते हैं ,
१० जब ये किसी कि पिटाई करते हैं तो उसको गुप्त चोट मारते हैं ताकि मेडिकल कराने प़र पता ना लगे ,
११ चोर उचक्कों कि गवाही प़र पासे वालों को उठाकर प्रताड़ित करना और उसकी बेइज्जती करने में इनको बहुत मजा आता है ,और पैसा भीम अच्छा मिल जाता है ,
१२ यदि कोई भी आम आदमी ऍफ़ ,आई ,आर ,दर्ज करानी चाहता है तो ये दर्ज ही नहीं करते ,लड़ाई झगडा बदमाशी ,लोक तोड़ना ,एक परिवार के द्वारा दुसरे परिवार को फोड़ तक देना ,गाडी कि चोरी होना ,जैसी घटनाओं कि भी बिना पैसे दिए रिपोर्ट दर्ज नहीं होती और यदि दर्ज करानी है तो नीचे से लेकर कमिश्नर तक भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते क्यूंकि एक ४र्थ क्लास का सिपाही तक कहता है कि जाओ कमिश्नर से ही काम करा लेना ,
१३ ये दिल्ली कि मुख्य मंत्री और राज्यपाल तक को कुछ भी नहीं समझते ,एक चोर ,बदमाश कि बात के सामने ये गवरनर के ऑर्डर को नकली बता कर फैंक देते हैं ,मैं एक ऐसे इन्स्पेक्टर को जानता हूँ जो कि एल ,जी ,साहब के ऑर्डर को कहता है कि ऐसे ऑर्डर तो कोई भी किसी नेता से बनवाकर लाये जा सकते हैं ,ये बताने प़र कि वो भाई नेता नहीं हैं बल्कि दिल्ली के मालिक हैं तो वो कहता है कि दिल्ली कामालिक तो मैं हूँ देखो तुमको टांग दिया ना ,जाओ जो कुछ भी मेरा करना है या करवाना है तो करवा लो ,
१४ वो कहता है कि जितने पैसे मैं वसूलता हूँ क्या वो सब मेरी जेब में जाते हैं ,ये सब पैसे दिल्ली पुलिश और मुख्य मंत्री तथा उससे ऊपर वाले भी मिल जुल कर खाते हैं ,वो कहता है कि मैं जो आई ,ओ,बना हूँ कोई फ्री फुंद में नहीं बना हूँ ,बहुत पैसे देकर आया हूँ ,और जो हम लिख देते हैं उसको किसी का बाप भी नहीं काट सकता ,तुमने अपने केस में सब कुछ देख लिया मैंने जैसा कहा था करके दिखा दिया ,यदि मेरी झोली में ५ या १० दाल देते तो ये दिन या जेल कि हवा तो खानी नहीं पड़ती ,

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