Wednesday, July 7, 2010

इन्वेस्टीगेसन ऑफिसर (आई ,ओ) से बड़ा कोई नहीं ?

जी हाँ ,भारत के लोकतंत्र के लिए सब से बड़ा ख़तरा (आई ,ओ )है क्योंकि इससे बड़ा हिन्दुस्तान में नाही तो कोई जज या कमिश्नर ,राज्यपाल ,मुख्यमंत्री ,प्रधान मंत्री ,अथवा राष्ट्रपति या कोई भी देश का बड़े से बड़ा नेता है ,क्योंकि वो अपनी रिपोर्ट में जिसके खिलाफ भी लिख देगा उसको कोई भी काट नहीं सकता और वो सबकुछ जब लिखता है जब आप या कोई भी उसके मनमुताबिक सेवा या उसकी बात नहीं मानता ,और जितने पढ़े लिखे और समझदार लोग हैं वो ना तो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं और नाही उनकी बेकार में सेवा करते हैं क्योंकि वो एक आई ,ओ ,कि पावर के बारे में नहीं जानते ,जिसका परिणाम होता है कि ज्यादातर ऍफ़ आई आर इन शरीफ आदमियों के नाम मेंही होती हैं ,इसी लिए पिछले काफी समय से देखने में आ रहा है कि ज्यादातर ये अच्छे लोग ही जेल कि हवा खा रहे हैं ,आये दिन ना जाने कितने शरीफ आदमियों के विरुद्ध ऍफ़ आई आर पुलिश तानो में हो रही हैं ,
एक आई ,ओ का रेंक हवालदार से लेकर सब इन्स्पेक्टर ,या इन्स्पेक्टर का होता है ,इसलिए इनकी क्वालिफिकेशन भी १० वी से लेकर १२ वी या किसी कि ग्रेजुएट होती है और वो भी अभी कुछ समय से शुरू हुई है ,इसलिए इनको क़ानून कि जानकारी तो होती ही नहीं या ना के बराबर होती होगी ,इसलिए वो ज्यादातर तो धाराओं के लिए शिकायतकर्ता के वकील से ही संपर्क करते हैं या उनसे ही पूरी कि पूरी रिपोर्ट तैयार करवाते हैं अब आप सोचिये कि वकील साहब तो अपने क्लाइंट के मुताबिक़ ही धारा लिख कर देगा और वो भी इतनी और ऐसी धारा लगाएगा कि आदमी जिन्दगी भर लगा रहे तो भी जान नहीं छुडा सकता क्योंकि आगे जज साहब ने तो धाराए देखकर फैसला देना है ,जज साहब भी ये न अहिं देखते कि सामने वाला कहीं शरीफ आदमी ही को जेल तो नहीं भेजा जा रहा है क्योंकि उन्होंने तो क़ानून के मुताबिक़ चलना है और क़ानून कहता है कि जो आई ,ओ ने लिख दिया वो ही सही है ,अब चाहे पुलिश कस्टडी नहीं भी मांगती है तोजुडिसियल कस्टडी के नाम प़र भी एक बार तो शरीफ आदमी को जेल में भेज ही दिया ,अब चाहे समाज में उसकी बेइज्जती हो या मजाक उड़े और बेईमान आदमी बाहर रहकर उसकी फजीहत करता रहता है समाज उसको अपराधी समझ कर अच्छा बर्ताव नहीं करता ,उसके साथ साथ उसके बच्चों का भविष्य भी खराब हो जाता है इस सबके बावजूद ,सब कुछ देखते हुए भी कोई भी जज कभी भी शायद किसी आई ,ओ को बुलाकर ये नहीं पूछता कि भाई ये धाराएं किस आधार प़र लगाईं गई हैं ,या एक बार ४२० धारा लगा दी तो ३६७ या ३६८ या ३७१ अथवा १२०बी ,स्वत: ही लग गई या इसी तरह दुसरे कैसों में भी होता है इसी तरह बेमतलब में धाराएं लगा दी जाती हैं ,इन सब धाराओं को लेकर मैंने खुद एक असिस्टेंट कमिश्नर को कहा तो उनका जवाब था कि क्या अब पुलिश धारा भी आप से पूछकर लगाएगी ,और आगे वो कुछ सुनने को तैयार नहीं थे ,बोले जो आई ,ओ ने कर दिया बस वो ही सही है ,
अब आप उस ऍफ़ आई आर ,को लेकर देश के बड़े बड़े कानूनविदों ,मंत्रियों ,या हाई कोर्ट्स के जजों अथवा सुप्रीम कोर्ट के जजों या जनता के पास चले जाओ कोई भी आपकी सहायता नहीं कर सकता ,आब तो आपको क़ानून में दायरे में रहकर ही सब कुछ सहन करना ही पडेगा ,में दिल्ली में एक ऐसे आई ,ओ ,को भी जानता हूँ जो स्वयम को सबसे बड़ा क़ानून का ज्ञाता मानता है और बड़े बड़ों को जेल कि हवा खिलाने में महारथी मानता है ,यदि इसी तरह ये आई ओ ,शरीफ और अच्छे लोगो को जेल भेजते रहेंगे और बदमाश या गुंडे मवालियों को बचाते रहेंगे तो वो दिन दूर नहीं है जब भारत का लोकतंत्र खतरे में पद जाएगा और लोकतंत्र खतरे का मतलब देश कि जनता के साथ विश्वासघात ,
अभी भी समय है जब कि इस सब प़र लगाम कासी जा सकती है ,क़ानून अपने आप में सही है प़र आज उसका दुरूपयोग हो रहा है और जब जब भी क़ानून का दुरूपयोग हुआ है क्रान्ति आई है और फिर जो कुछ होता है या हुआ है देश कि जनता सब जानती है इसलिए यदि क़ानून का दुरूपयोग रोकना है तो देश में जितने भी आई ,ओ नियुक्त किये जाते हैं कम से कम उनको क़ानून का ज्ञाता तो होना ही चाहिए यानी के उनके पास क़ानून कि डिग्री तो होनी ही चाहिए वरना तो जो खिलवाड़ ,क़ानून के साथ और देश कि आम जनता के साथ हो रहा है हमेशा कि तरह चलता ही रहेगा और देश का प्रत्येक शरीफ आदमी रगड़े खाता रहेगा
इस सबके लिए भारत कि लोकतांत्रिक सरकार को भी सोचना चाहिए और यदि अभी भी ना सोचा गया तो इन्सबके परिणाम घातक ही होंगे

1 comment:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

इसमें कोई दो राय नहीं