अब ऍफ़ ,एस, एल ,कि रिपोर्ट कि प्रमाणिकता प़र ऊंगलियाँ ही नहीं बल्कि पूरे हाथ तक उठने लगे हैं ,प्रत्येक व्यक्ति उस प़र संदेह करता है ,क्योंकि ये रिपोर्ट अब क़ानून को सही फैसला करने देने में मात्र बाधा के कुछ भी नहीं है वैसे भी दस्तखत आदि के केश में ये फारेंसिक ना होकर मात्र ओपिनियन है और वो ओपिनियन भी उन सरकारी आदमियों का है जिसपर कि आसानी से यकीन नहीं किया जा सकता ,क्योंकि मेरी निगाह में तो ऐसा कोई भी सरकारी कार्यालय नहीं है जिस प़र ऊँगली ना उठाई जाती हो ,फिर यहाँ तो रिपोर्ट कैसे बनती हैं आज देश का प्रत्येक सजग व्यक्ति जानता है ,और फिर भी न्यायाधिकारी इस कि रिपोर्ट देखकर अपना फैसला देते हैं या किसी कि जमानत अर्जी को केंसल करते हैं तो उस व्यक्ति के साथ तो अन्याय है ही ,परन्तु लोकतंत्र के लिए भी ख़तरा है
वैसे भी ये संस्था कहने को तो सरकारी है प़र चलती प्राइवेट हाथो से ही है ,और राज्य सरकार के अंतर्गत रहकर काम करती है ,इसलिए ये राजनीतिज्ञों ,छुटभैये नेताओं ,दिल्ली पुलिश ,और राज्यसरकार के अधिकारियों जैसे कि सेक्रेट्री ,जोइंट सेक्रेट्री ,प्रिंसिपल सेक्रेट्री के हाथो कि कठपुतली है ,उपरोक्त लोग जैसा चाहते है ,वैसा काम इस संस्था से करा लेते हैं ,अब सोचिये ऐसी संस्था कभी निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार कर सकती है ,जिससे कि न्याय पाने वाले को उचित न्याय मिल सके ,इस लिए हम कह सकते हैं कि इस देश में न्याय पाना मुश्किल है क्योंकि हमारे देश कि न्यायपालिका तो इस संस्था कि रिपोर्ट प़र आँख बंद करके भरोसा करती है ,प़र आज ये सब वास्तविकता से बहुत परे है ,
यदि ये संस्था सही कार्य नहीं करती और जनता का भरोसा इससे उठ चुका है या ये भी भ्रष्टाचार में लिप्त है तो क्यों ना इसको बंद कर दिया जाय ,या फिर इसकी प्रमाणिकता को भी सही मायने में परखा जाय ,और न्यायादिश उचित न्याय देने के लिए और कोई उपाय सोचे या फिर इस संस्था प़र कड़ी निगरानी राखी जाय ताकि रिपोर्ट निष्पक्ष आ सके ,
देश के उच्चतम न्यायालय कि तरह निचले कोर्ट्स को भी बजाय रिपोर्ट के और कागज़ आदि या जिस व्यक्ति प़र मुकद्दमा डाला गया है ,उसकी हैसियत ,उसका चरित्र ,उसकी मल्कियत ,उसकी समाज में छवि ,आदि को भी देखकर फैसले किये जाएँ ,ये नहीं कि एक चोर या बदमाश आदमी ने किसी शरीफ आदमी को क्रिमिनल बनवा दिया और कोर्ट ने उसको टांग दिया ,ये न्याय सांगत नहीं है ,कुछ बदमाश लोग नकली आदि कागज़ बनाकर भी लोगो कि प्रापर्टी हड़पने के लिए या उसको ब्लेकमेल करने के लिए ऐसे ही दवाब बनाते या बनवाते हैं ,
हमारी न्यायाधीशों से करवद्ध विनती है कि न्यायालयों में सबके भगवान् आप लोग ही हो यदि आपका फर्ज बनता है कि आप सबको उचित न्याय प्रदान करें तो आपकी असीम क्रपा होगी और लोकतंत्र भी मजबूत होगा ,
Sunday, July 11, 2010
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1 comment:
शानदार पोस्ट
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