Sunday, July 11, 2010

अब न्यायपालिका ने भी माना,ला एंड ऑर्डर के हालात खराब

एडिसनल सेसन जज कामिनी ला ने माना और कहा कि देखने में आ रहा है कि" ला एंड ऑर्डर "कि स्थिति काफी खराब हुई है ,और नए जेनरेशन के लोग वारदातों को अंजाम दे रहे हैं "परन्तु मैं मेडम यहाँ ये जरूर कहना चाहूँगा कि नए ही नहीं बल्कि पुराने लोग भी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं ,इसी कारण समाज में आतंक का माहोल छाया हुआ है ,उन्होंने कहा कि क्रिमिनल ,लोगों को ह्त्या तक कि धमकियां देते रहते हैं ,और बिना किसी कि परवाह किये शरीफ ,बेगुनाहों ,गरीब और असहाय ,और इज्जतदार ,लोगों को धमकिया देते रहते हैं ,"मैं यहाँ प़र ये खुद काना चाहूँगा कि इन के हाथ और रसूख काफी ऊपर तक यानी कि नेताओं ,और पुलिश तक हैं इसलिए इनकी निगाहें जिस प्रापर्टी प़र भी पड़ जाती है ये शाम दंड भेद अपनाकर उस को लेकर ही मानते है या उसके मालिक को किसी भी कानूनी चाल में फंसाकर उस प़र ऍफ़ ,आई ,आर, तक करवा देते है और फिर उसको जेल का भय दिखाकर ,उससे ब्लैक मैलिंग करते हैं यदि वो नहीं मानता तो उसके साथ कुछ भी कर देते हैं ,प़र प्रापर्टी लेकर छोड़ते हैं या फिर मुकद्दमा आदि डालकर प्रापर्टी को कहीं का नहीं छोड़ते ,और बीसियों साल तक के लिए मामला लटका देते हैं और इनकी पूरी कोशिश होती है कि पार्टी को जेल में भेजकर उसकी समाज में झूठ बोलकर गुड विल खराब करते हैं ,
और जेल में भेजने के लिए पुलिश और न्यायपालिका ही इन क्रिमिनल्स कि मदद करती है ,अब आप कहेंगे कि कैसे ,तो सबसे पहले तो पुलिश शरीफ और इजजत्दार आदमी को घर से उठवा लेती है और अगर वो नहीं मिलता है तो उसके वारंट निकलवा देती है ,और बड़े बड़े उसके फोटो ,और इस्तहार समाचार पत्रों में छपवा देती है और यदि वो कोर्ट में खुद सरंडर कर देता है तो भी उसे पुलिश कस्टडी के नाम प़र न्यायपालिका से मांग लेती है और वहाँ बैठे न्यायाधिकारी ,बिना सोचे समझे ,केवल पुलिश कि लगाईं अनुचित धाराएं देखकर ,उसे पुलिश को सौंप देते हैं और फिर वोही पुलिश कि तीसरी डिग्री का इस्तेमाल होता है और एक झूठी कहानी सुनाकर और उसे लिख कर कागज़ तैयार करके कोर्ट में पेश कर देते हैं और कोर्ट उसे फिर बिना सोचे समझे ,या उसके वकील कि बात बिना सुने ,,और अभियुक्त के बारे में भी बिना जानकारी लिए ,जज साहब जुडीसियारी के अंतर्गत कम से कम १४ दिन के लिए जेल भेज देते है और फिर ये बार बार भी कई दफे चलता है औरक्योंकि केस स्टेट का होने के बावजूद भी धन के बल प़र दो ,दो ,या तीन तीन ,सीनियर वकील खड़े कर देते है जिनका काम होता है उस शरीफ आदमी कि बेल ना होने देना ,और वो जब तक बेल नहीं होने देते जब तक कि वो उस प्रापर्टी या उसके बदले में मनमानी रकम उसके घर वालो से वसूल नहीं कर लेते तो ये लोग क़ानून का पुलिश का सहारा लेकर सफ़ेद पोशी की बदमाशी करते हैं और क़ानून उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाटा ,इस सबके कारण भी जनता में ला एंड ऑर्डर के प्रति गलत सन्देश जाता है ,जिसके आज जनता पुलिश और कोर्ट कचहरी जाने में सकुचाती है ,प्रत्येक आदमी आज कहता घूम रहा है कि क़ानून वानूं यहाँ कुछ भी नहीं है तो जज साहब आज न्याय और पुलिश केवल पैसे वालों या सफ़ेद पोश बदमाशों के लिए है ,आज भारत कि जनता का जुडीसिएरी से भी विश्वास उठ चुका है

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