हाई कोर्ट से मुकद्दमों की संख्या कम करने हेतु और जनता कि सुविधा के लिए ,और लोकतंत्र के हित में एक और सन्देश सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिया और कहा कि ,हाई कोर्ट किरायेदारों को निकालने या प्रापर्टी विवाद जैसे सिविल मामलों में दखल नहीं दे सकता ,ऐसे मामलों को देखने का काम सिविल अदालतों का है ,
अपने पुराने फैसलों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट को आर्टिकल २२६ के तहत रिट प़र जो सुनवाई का अधिकार मिला है उअमे वह नागरिकों के मूलभूत अधिकारों को लागू करने का काम कर सकता है प़र नागरिकों के निजी विवादों को निबटाने में इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ,कुछ मामलों में रूटीन तरीके से हाई कोर्ट धारा २२७ के तहत ऐसे मामलों कि पिटीशन प़र सुनवाई करते हैं ,ऐसे में इन पितिषणों को रिट पिटीशन कि तरह लिया जाता है ,जस्टिस जी .एस .सिंघवी ,और ऐ .के ,गांगुली कि बैंच ने यह फैसला एक किरायेदार शालिनी श्याम शेट्टी के केश में सुनाया
ई मेल करें ,टाइम बचाएं :सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को आफिसियल कामकाज में ईमेल का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने को कहा है ताकि लम्बे समय से लटकी पिटीशानों प़र तुरंत सुनवाई हो खासकर कमर्शल मामलों में ,कोर्ट ने कहा कि ५०%मामले सिर्फ इसलिए पेंडिंग है कि अरजिया और दस्तावेज कि रजिस्ट्रियां केश लड़ रहे पक्षों को समय प़र नहीं पहुँच पातीं ,चीफ जस्टिस एस ,एह ,कपाडिया कि बेंच ने कहा कि पिटीशन ,एफिडेविट ,और दुसरे कागजात दाखिल करते वक्त वकील ई मेल का प्रयोग करें ,
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1 comment:
sahi kaha ye kaam to nichle court hai aur unhe hi krna chaie taki wakt anya caso ke lie waqt nikala ja sake.....
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