सरकार ने न्यायपालिका का विस्तार करने और जस्टिस एट doar पहुचाने के लिए इक और जिला कोर्ट का शुभारम्भ पहली अगस्त से साकेत में हो जाएगा ,जिसमे कोर्ट्स कि संख्या लगभग ८० होगी ,इसके कारण अब उस क्षेत्र के लोगों को न्याय मांगने के लिए पटियाला कोर्ट नहीं जाना पडेगा ,दिल्ली कि जनता कि समस्याओं का समाधान अब उनके घरों के नजदीक हो जाएगा ,सरकार ने अब तक जनता कि सुविधा को ध्यान में रखकर ६ जिला कोर्ट स्थापित कर दिए हैं ,यद्द्य्पी जिस हिसाब से कोर्ट बनते जा रहे हैं उसी हिसाब से मुकद्दमे भी बढ़ते जा रहे हैं ,परन्तु जनता को न्याय भी माकूल तरीके से नहीं मिल पा रहा ,तो देखना ये है कि आखिर मुकद्दमे कम क्यों नहीं हो रहे ,१ कोर्ट के ६ कोर्ट बन्ने के बाद भी
मेरे विचारों में सरकार के प्रयत्न मील का पत्थर हैं फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा ,हालाकि जब कोर्ट बन रहे हैं तो जज भी बढ़ रहे हैं ,प़र मुकद्दमों कि तादाद उस हिसाब से ज्यादा बढ़ रही है इसका कोई तो कारण होगा मेरे विचारों में इसके कुछ मुख्य कारण हैं
१ ----कुछ तो जिस हिसाब से जनता बढ़ रही है उसके हिसाब से मुकद्दमे भी बढ़ रहे हैं
२ ----मुकद्दमों को निपटाने का वो ही पुराना ढर्रा आओ जो ,तारीख लो ,और घर जाओ जी ,
३ ----वकीलों का जजों को उलटी सीढ़ी बातों से दिग्भ्रमित करना ,यानी के आले बाले गाना ,
४ ----पूरी तरह मुद्दों से हटकर वकालत करना ,और अदालत का वक्त ब्बर्बाद करना ,
५ ----अदालतों द्वारा बिना सोचे समझे मुकद्दमों को एडमिट कर लेना ,
६ ----जजों के द्वारा केवल वकीलों को सुनकर ही फैसले देना ,
७ ---जजों के द्वारा केस डालने वाले और विरोधी पक्ष से डाइरेक्ट सवाल जवाब ना करना ,जैसे अक्सर मिडीएशन ,और लोक अदालतों में होता
८ ---किसी भी मुकद्दमे के फैसले में अपनी दिस्क्रिशन पावर का इस्तेमाल ना करना ,और नेक्स्ट कोर्ट के लिए छोड़ देना ,
९ ---और भी अभी बहुत से कारण हो सकते हैं जो कि क़ानून के निर्माताओं ,विश्लेषण कर्ताओं ,कानूनविदों कि नज़रों में होंगे ,
Wednesday, July 28, 2010
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1 comment:
बात तो सही है पर सब से बड़ा कारण पर्याप्त अदालतें न होना है।
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