Wednesday, July 28, 2010

आखिर जुडिसियल कस्टडी क्यों ?

अक्सर देखने में आया है कि क्रिमिनल केसेस में ,चाहे वो चोरी डकेती बदमाशी ,रेप ,चार सौ बीसी ,लूट ,मर्डर ,लड़ाई झगडा ,घरेलु झगडा ,कहने का तात्पर्य है कि चाहे केस कैसा ही भी हो ,और पुलिश किसी भी आदमी को पकड़ कर कोर्ट में पेश करती है ,और पुलिश खुद अपनी कस्टडी नहीं मांगती ,परन्तु जुडीसिय्ल कस्टडी में भेजने के लिए डिस्क्लोजर रिपोर्ट में अभियुक्त को भेजने हेतु रिक्वेस्ट करती है ,जिसका कम से कम समय १४ दिन का होता है ,
वकीलों कि काफी जिरह सुनने के बाद भी १ बार तो जो अभियुक्त है ,चाहे उसको पुलिश ने झूठा केस बनाकर ही फंसाया हो ,तब भी ,मजिस्ट्रेट या जज उसको जुडिसियल कस्टडी के अंतर्गत जेल में तो भेज ही देते हैं ,वो बात अलग है कि चाहे अगले दिन ही अभियुक्त अपनी बेल के लिए एप्लीकेशन लगा सकता है ,अब विषय ये है कि -----------
क्या अभियुक्त को कम से कम १ बार १४ दिन या बेल होने तक जेल में भेजना जरूरी होता है ,ऐसा कोई नियम या धारा है ?
यदी पुलिश को अभियुक्त से पूछताछ करनी होती तो वो उसको पुलिश ,अपनी कस्टडी में मांगती ,और जब उसने पूछताछ करनी ही नहीं तो
फिर जुडिसियल कस्टडी ही क्यों ?
क्या ये कोई पुलिश या कार्यपालिका का कोई रूटीन पालिसी है कि भाई एक बार तो जेल कि हवा खानी ही पड़ेगी ,अगर ऐसा है तो क्यों ?
क्या ऐसा करके लोकतंत्र में एक मानव के मूल अधिकारों का हनन नहीं ?
हमने जुडिसियल कस्टडी के बारे में अनेको वकीलों से पूछा परन्तु किसी ने भी माकूल जवाब नहीं दिया ,क्या वकील भी इससे अनभिग्य
क्या चार्जशीट दाखिल करने के बाद भी पुलिश ,अभियुक्त से पूछताछ कर सकती ,या ये अधिकार केवल सी ,बी ,आई को ही है ?
बिना वजह किसी भी अभियुक्त को जेल भेजने से सरकार को कुछ नुक्सान भी होते हैं जैसे कि --------
एक दिन जेल में रहने का खर्चा २३७ रुपया प्रितिदीन का आता है ,
जेल में एंट्री के समय में वहाँ के अधिकारियों को काफी दोकुमेंट तैयार करने पड़ते है ;
उसके रहने कि व्यवस्था भी अलग से करनी पड़ती है
उसी रात को उसके खाने पीने का अलग से एरेंजमेंट करना होता है ,
सिकयुरिटी कि व्यवस्था अलग से ,और भी बहुत कुछ करना पड़ता होगा ,
जेलों में वैसे भी कैदियों को रखने तक के लिए जगह नहीं हैं ,अकेले तिहाड़ जेल में ही ७००० कि व्यवस्था है और कैदी हैं लगभग १२००० ,इसका मुख्य कारण है कि जेल से निकलते कम हैं और पहुँचते है ज्यादा ,आखिर ऐसा कब तक चलेगा ,आखिर एक दिन लोगो को अनावश्यक जेल भेजने प़र रोक तो लगानी ही पड़ेगी ,
इसमें सबसे ज्यादा मोनेटरी लास सरकार को होता है ,
और यदि किसी शरीफ और इमानदार आदमी को जेल भेज दिया जाता है तो अराजकता बढती है जो कि लोकतंत्र के हित में नहीं है ,
और एक कहावत है कि जो एक बार जेल पहुँच जाता है तो वहाँ से कुछ सीखकर ही आता है ,जब वो वहाँ गुंडे ,मवाली ,बदमाशों ,रेकेतों से मिलेगा तो वही सीखेगा और वापिस आकर जनता में बद्मिनी ही फैलाएगा ,वो शरीफ और शरीफ नहीं बल्कि बदमाशों का भी बाप ही बनकर जेल से निकलेगा ,तो समाज में गंदगी ही फैलाएगा
क्रप्या जो बी ही मेरे ब्लोगर को देखें ,मेरी शंका का समाधान अवश्य करें

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