पुलिश जब भी किसी बड़े आदमी ,या नेता ,अथवा कोई बड़ा व्यापारी ,अथवा मंत्री या भगवा कपडे वाले या अति सम्मान्जन्कीय ,जैसे कि धार्मिक नेताओं या समाजसेवियों का किसी भी कारणवश रिमांड आदि लेती है और उनको ज्यादा से ज्यादा दिन अन्दर रखकर लटकाना चाहती मही तो आये दिन एक ही बात कहती है कि वो पुलिश के साथ सहयोग नहीं कर रहे ,कहने का तात्पर्य है किया तो जो पुलिश कहलवाना चाहती है वो लिखकर उन्हें दे दें और अपने गले में घंटी बाँध लें चाहे वो दोषी हैं अथवा नहीं ,तब तो ठीक है यदि ना कर दी तो वो पुलिश को सहयोग नहीं कर रहे और ऐसा कह कह कर उसे जेल में लटकाए रखते हैं ,क्योंकि थर्ड डिग्री आजकल वैसे भी लागू नहीं है प़र मोके बेमोके गरीब सरिब प़र तो अपना ही लेते हैं ,प़र ये सब तो ठहरे जनता के ठेकेदार ,तो भला क्या करें अत; ऐसा करके ही अपनी नाराजगी जाहिर करते है ,प़र ऐसा करना लोकतंत्र के लिए हानिकारक है ,थोड़ी बहुत तो पुलिश में भी नेकनीयती होनी चाहिए ,आखिर हैं तो वो भी हमारे जैसे ही बासिन्दे ,
" सत्य मेव जयते "
Friday, July 30, 2010
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1 comment:
सह्योग क मतलब औकात और केस के हिसाब से पैसे नहीं दे रहा है, और क्या!
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