भारत में लोकतंत्र कभी था या नहीं था ये तो पूर्णतया में नहीं जानता पर एतिहासिक घटनाओं के विवरण को जानकार जो मेरी समझ में आया मैं केवल वोही लिख रहा हूँ ।
सन १००० इसवी के बाद से १५८० तक जब मुग़ल भारत में आये उससे पहले तक की घटनाओं से पता लगता है शासक सत्ता होने के बावजूद भी हमारे देश की जनता काफी खुश थी और जिस समय में जनता खुश हो तो वो समय ही वास्तव में सच्चा लोकतंत्र है इसका मतलब उस समय लोकतंत्र था और हमारा देश आजाद था ।
१५८० के बाद जब मुगलों का शासन स्थापित हो गया तो हमारा कुछ कुछ परतंत्र हो गया क्योंकि हमको मुग़ल सरकार के हुक्मरानों के अनुसार चलना होता था ।
उसके बाद १७वी शताब्दी के बाद भारत पर बर्तानियों का शासन होता चला गया तब हम उनके गुलाम हो गए और अब हमको वोही करना होता था जो अंग्रेजी सरकार चाहती थी ,पर आम आदमी की उस समय भी सुनवाई होती थी ,न्याय व्यवस्था काफी अच्छी थी जैसा की बुजुर्ग लोग कहते हैं की अंग्रेजी राज ही अच्छा था आजकल की सरकारों से ।
उसके बाद सन १९४७ में हमारा देश आज़ाद हो गया और लोकतंत्र स्थापित हो गया ,देश की जनता बहुत खुश थी क्योँ की जनता का अपना लोकतंत्र होगा सबको न्याय मिलेगा ,गरीब अमीर का भेदभाव दूर होगा पर वास्तविकता उलटी ही होगी सारे मंसूबे रखे रह गये और आज फिर देश का हर व्यक्ति स्वयम को अपने ही देश में गुलाम समझ रहा है क्योंकि आज किसी भी आदमी की कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही ,ना जाने कितनी जनता भूखे पेट सोती है ,कितने ही लोग न्याय व्यवस्था से दुखी हैं ,जब मुकद्दमा पड़ता है तो न्याय व्यवस्था के कारण उसके ८ मुकद्दमे बन जाते है कहीं कोई सुनवाई नहीं होती ,गरीब और शरीफ आदमियों को न्याय नहीं मिलता 'चारों और भ्रष्टाचार व्याप्त है ,पैसे दो काम कराओ जिस के पास पैसे नहीं है वो जेल जाओ भूखे मरो या कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा कर मर जाओ या आत्महत्या करो ,देश में पुलिश और जुदिसियारी ने तो हद ही कर राखी है गरीब गरीब होता जा रहा है भ्रष्टाचारी आमिर बनता जा रहा ,किसान भूखा मर रहा है दलाल मजे ले रहे है ,प्रतिदिन जनता आत्महत्या कर रही है इन सभी बातों से पता चलता है की हम पहले नहीं पर आज लोकत के बावजूद देश की ९० %
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