मोदी जी जनसभाओं में
सिंह की भांति दहाड़ते है
हाथ नचका नचका कर
अपने विचार व्यक्त करते हैं ,
सभी पार्टीज को ध्वस्त कर
अपना मन्तव्य समझाते हैं
जनता माने या ना माने पर
स्वयम को सत्यवादी कहते हैं ,
नोट बन्द करने के निर्णय को
ऐतिहासिक फैसला बताते हैं
जनता के पारिश्रमिक धन को
देश में काला धन बताते हैं ,
जिसको समाप्त करने हेतु
गरीबों को लाइनों में लगाते हैं
वो लाइनों लगे भूखे प्यासे
स्वर्ग को भी सिधार जाते हैं ,
श्रधांजलि या नमन करने हेतु
अपना शीश भी ना झुकाते हैं
इसके विपरीत जनता को
काले धन वाला कहते हैं ,
इसके विपरीत जनता को
रैलियों में रोकर दिखाते हैं
स्वयं को फ़क़ीर कहते हैं और
झोपली उठाकर चले जाते हैं ,
जब संसद में बुलाया जता है
तो नित नए बहाने बनाते हैं
विपक्षियों की बातें सुने बिना
अतिथियौ, जैसे चले जाते हैं ,
५० दिन पूरे होने वाले हैं पर
हालात सुधारते नजर नहीं आते
देश की आर्थि स्तिथि खराब है
पर मोदी जी जिद्दी होते जाते हैं
भाजपा का अंत आ गया है
लाइन में लगे लोग बताते हैं
अगली बार चुनाव आ जाने दो
मोदी जी को तब बताते हैं ।
सिंह की भांति दहाड़ते है
हाथ नचका नचका कर
अपने विचार व्यक्त करते हैं ,
सभी पार्टीज को ध्वस्त कर
अपना मन्तव्य समझाते हैं
जनता माने या ना माने पर
स्वयम को सत्यवादी कहते हैं ,
नोट बन्द करने के निर्णय को
ऐतिहासिक फैसला बताते हैं
जनता के पारिश्रमिक धन को
देश में काला धन बताते हैं ,
जिसको समाप्त करने हेतु
गरीबों को लाइनों में लगाते हैं
वो लाइनों लगे भूखे प्यासे
स्वर्ग को भी सिधार जाते हैं ,
श्रधांजलि या नमन करने हेतु
अपना शीश भी ना झुकाते हैं
इसके विपरीत जनता को
काले धन वाला कहते हैं ,
इसके विपरीत जनता को
रैलियों में रोकर दिखाते हैं
स्वयं को फ़क़ीर कहते हैं और
झोपली उठाकर चले जाते हैं ,
जब संसद में बुलाया जता है
तो नित नए बहाने बनाते हैं
विपक्षियों की बातें सुने बिना
अतिथियौ, जैसे चले जाते हैं ,
५० दिन पूरे होने वाले हैं पर
हालात सुधारते नजर नहीं आते
देश की आर्थि स्तिथि खराब है
पर मोदी जी जिद्दी होते जाते हैं
भाजपा का अंत आ गया है
लाइन में लगे लोग बताते हैं
अगली बार चुनाव आ जाने दो
मोदी जी को तब बताते हैं ।
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