कर दो प्रकार से जनता से असूला जा सकता है
अप्रत्यक्ष कर =वो कर होता है जो जहाँ पर सामान बनता है वहीँ पर लगा दिया जाता है, यानी की वो फर्स्ट पॉइंट ,कहा जाएगा, वो उत्पादन कर्ता से ही वसूला जाता है जिसे आप उत्पादन कर भी कह सकते हैं और उत्पादन करता उस टैक्स को अपने उत्पादन मूल्य में जोड़कर जनता को अपना माल बेचने पर वसूलता है ,परन्तु मजे की बात ये होती है की आम ग्राहक ,यानी जनता को उसमे परेशानि नहीं होती क्योँकि जब उसे बिल दिया जाता है तो उसपर अलग से उस टैक्स का विवरण नहीं होता ,कहने का तातपर्य है की आप अप्रत्यक्ष रूप में जनता से कितना ही टैक्स वसूल लो उसे परेशानी नहीं होती क्योंकि वो उसे वस्तु का बिक्री रेट ही समझती है उसे कुछ लेना देना नहीं की कितना टैक्स उसपर कहाँ लगा ,कहाँ नहीं |
प्रत्यक्ष कर =प्रत्यक्ष कर वो है जो जनता को बताकर वसूला जाता है ,जैसे की वेट ,या और भी टैक् सर्विस टैक्स आदि आदि ,इसप्रकार के टैक्स देने में जनता को बहुत परेशानी महसूस होती है क्योँकि वो सामने दीखता है, ,अब आप ज्वेल्लरी में ही देखिये मात्र १% दी वैट टैक्स है यानी की १ लाख के सामान पर मात्र १००० रुपया परन्तु वो प्रत्यक्ष कर है जिसे देने में भी जनता को परेशानी होती है इसीलिए ज्वेलर अधिकतर यानी की ९०%खरीद फरोख्त दो नंबर में होती है यदि ये ही टैक्स प्रारम्भ में १% के स्तन पर १० % भी चार्ज कर लिया जाएँ तो किसी भी खरीदार को कोई परेशानी नहीं होगी |
तो भाई सरकार को चाहिए था की वो जी एस टी के बजाय अप्रत्यक्ष कर चाहे और भी ज्यादा लगा देती तो किसी को भी परेशानी नहीं होती ,पर कहे कौन ,और सुझाव दे कौन ,जो सुझाव देगा वो ही बेवकूफ ,अब आप लोग और सरकार के लोग मुझे ही बेवकूफ कहेंगे |
अप्रत्यक्ष कर =वो कर होता है जो जहाँ पर सामान बनता है वहीँ पर लगा दिया जाता है, यानी की वो फर्स्ट पॉइंट ,कहा जाएगा, वो उत्पादन कर्ता से ही वसूला जाता है जिसे आप उत्पादन कर भी कह सकते हैं और उत्पादन करता उस टैक्स को अपने उत्पादन मूल्य में जोड़कर जनता को अपना माल बेचने पर वसूलता है ,परन्तु मजे की बात ये होती है की आम ग्राहक ,यानी जनता को उसमे परेशानि नहीं होती क्योँकि जब उसे बिल दिया जाता है तो उसपर अलग से उस टैक्स का विवरण नहीं होता ,कहने का तातपर्य है की आप अप्रत्यक्ष रूप में जनता से कितना ही टैक्स वसूल लो उसे परेशानी नहीं होती क्योंकि वो उसे वस्तु का बिक्री रेट ही समझती है उसे कुछ लेना देना नहीं की कितना टैक्स उसपर कहाँ लगा ,कहाँ नहीं |
प्रत्यक्ष कर =प्रत्यक्ष कर वो है जो जनता को बताकर वसूला जाता है ,जैसे की वेट ,या और भी टैक् सर्विस टैक्स आदि आदि ,इसप्रकार के टैक्स देने में जनता को बहुत परेशानी महसूस होती है क्योँकि वो सामने दीखता है, ,अब आप ज्वेल्लरी में ही देखिये मात्र १% दी वैट टैक्स है यानी की १ लाख के सामान पर मात्र १००० रुपया परन्तु वो प्रत्यक्ष कर है जिसे देने में भी जनता को परेशानी होती है इसीलिए ज्वेलर अधिकतर यानी की ९०%खरीद फरोख्त दो नंबर में होती है यदि ये ही टैक्स प्रारम्भ में १% के स्तन पर १० % भी चार्ज कर लिया जाएँ तो किसी भी खरीदार को कोई परेशानी नहीं होगी |
तो भाई सरकार को चाहिए था की वो जी एस टी के बजाय अप्रत्यक्ष कर चाहे और भी ज्यादा लगा देती तो किसी को भी परेशानी नहीं होती ,पर कहे कौन ,और सुझाव दे कौन ,जो सुझाव देगा वो ही बेवकूफ ,अब आप लोग और सरकार के लोग मुझे ही बेवकूफ कहेंगे |
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