जब से मैंने होश संभाला है तो देखा है ,कि स्वर्ण , दलित ,महादलित ,हरिजन ,पिछड़े कुछडे ये सभी हिन्दुओं में ही क्योँ होते हैं ,क्या हिन्दू धर्म ही ऐसा है जहां कितने ही वर्गों में बटा हुआ है और उसके बाद जाति ,उपजाति नीच ऊँच क्या ऐसा अन्य धर्मों में भी है ,यथा मुस्लिम धर्म या ईसाई धर्मं ,या जैन ,सिख ,बौद्ध आदि आदि में ,परन्तु मेरी निगाहों में उनमे प्रत्यक्ष रूप में तो ऐसा नजर नहीं आता ,क्या कोई मेरी इस समस्या का कोई निवारण करेगा |
Tuesday, June 20, 2017
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