भाइयो यदि लोकतंत्र को बरकरार रखना है तो सम्पूर्ण देश की जनता को साथ लेकर चलना पड़ता है और देश के सार्वभौम को उनके दुःख दर्दों को महसूस करके उनका निवारण करना होता है ,
परन्तु आज जबरदस्ती लोकतंत्र को धीरे धीरे भौंक तंत्र में बदला जा रहा है ,भौंक तंत्र में मात्र मुख का प्रयोग होता है ,इससे कुछ भी बोला जा सकता है चाहे उसको चुनावों के बाद पूर्ण करो या ना करो ,
आज देश में यही हो रहा है की देश के एक तानाशाह ने भौंक तंत्र का प्रयोग कर जनता को लुभावने सपने दिखा कर अपना काम तो निकाल लिया परन्तु जब जनता की बारी आई तो उनको ठेंगा दिखाया जा रहांहै ,जिसका परिणाम ,कहीं पर आगजनी ,कहीं पर आत्महत्याएं ,कहीं पर गोलियां कहीं पर पथराव कहीं पर हिन्दू मुस्लिम झगडे तो कहीं परदलित और सवर्णों के झगडे ,क्या क्या नहीं हो रहा जिसे आप भली भांति देख रहे हैं
परन्तु आज जबरदस्ती लोकतंत्र को धीरे धीरे भौंक तंत्र में बदला जा रहा है ,भौंक तंत्र में मात्र मुख का प्रयोग होता है ,इससे कुछ भी बोला जा सकता है चाहे उसको चुनावों के बाद पूर्ण करो या ना करो ,
आज देश में यही हो रहा है की देश के एक तानाशाह ने भौंक तंत्र का प्रयोग कर जनता को लुभावने सपने दिखा कर अपना काम तो निकाल लिया परन्तु जब जनता की बारी आई तो उनको ठेंगा दिखाया जा रहांहै ,जिसका परिणाम ,कहीं पर आगजनी ,कहीं पर आत्महत्याएं ,कहीं पर गोलियां कहीं पर पथराव कहीं पर हिन्दू मुस्लिम झगडे तो कहीं परदलित और सवर्णों के झगडे ,क्या क्या नहीं हो रहा जिसे आप भली भांति देख रहे हैं
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