अपनी असुरक्षा से
यदि देश की सुरक्षा यही होती है
कि बिना जमीर होना ,जिंदगी के लिए शर्त बन जाए
आँख की पुतली में हाँ के सिवाय
कोई भी शब्द अश्लील हो
और मन बदकार पलों के सामने दंडवत झुका रहे
तो हमें देश की सुरक्षा से ख़तरा है |
गर देश की सुरक्षा को कुचलकर अमन को रंग चढ़ेगा
कि वीरता बस सरहदों पर मर कर परवान चढ़ेगी
कला का फूल बस राजा की खिड़की में ही खिलेगा
अक्ल हुक्म के कुऍं पर
रहट की तरह ही धरती सींचेगी
तो हमें देश की सुरक्षा से ख़तरा है |
प्रसिद्द लेखक स्वर्गीय अवतार सिंह पाश
आज के माहौल में एक सटीक कविता
यदि देश की सुरक्षा यही होती है
कि बिना जमीर होना ,जिंदगी के लिए शर्त बन जाए
आँख की पुतली में हाँ के सिवाय
कोई भी शब्द अश्लील हो
और मन बदकार पलों के सामने दंडवत झुका रहे
तो हमें देश की सुरक्षा से ख़तरा है |
गर देश की सुरक्षा को कुचलकर अमन को रंग चढ़ेगा
कि वीरता बस सरहदों पर मर कर परवान चढ़ेगी
कला का फूल बस राजा की खिड़की में ही खिलेगा
अक्ल हुक्म के कुऍं पर
रहट की तरह ही धरती सींचेगी
तो हमें देश की सुरक्षा से ख़तरा है |
प्रसिद्द लेखक स्वर्गीय अवतार सिंह पाश
आज के माहौल में एक सटीक कविता
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