Wednesday, December 13, 2017

begerat


बेगैरत 
बेशर्मी का लबादा ओढ़कर 
मान मर्यादा को त्यागकर ,
अशुद्ध वाणी का प्रयोग कर 
जो असत्य आक्षेप लगाता हो ,
मात्र एक व्यक्ति को छोड़कर 
कोई भी बड़ा हो या छोटा हो 
सभी को धता बताकर भी 
अपना दुखड़ा ही सुनाता हो,  
अपने जीवन को सुखमय कर 
अन्योँ के जीवन को दुखमय कर 
बार बार लोभ  लालच देकर 
 जनता को मूर्ख बनाता हो ,
क्या वो व्यक्ति जनता का सार्वभौम बनने के काबिल है  
 

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