त्यागी पुरुष ,
काश ,
उसके भी एक कन्या होती
पालता पोषता ,
बड़ी करता
पढ़ाता लिखाता
और उसकी चौकीदारी करता
घर आने में देरी होती तो
तो व्याकुल हो जाता
अनहोनी की घटनाओं का
विचार बार बार
तेरे ह्रदय में आता
भूख लगी होती
पर खाना न भाता
जब वो घर आ जाती
तब ह्रदय में सांस सी आती
सभी प्रकार से खुश रखने की
बार बार कोशिश करता
और फिर पाई पाई जोड़कर
उसकी शादी करता
दिल के टुकड़े को
दूल्हे को सौपता
कुछ दिन बाद फिर दूल्हा
तेरी बेटी को छोड़कर
त्यागी बन जाता
फिर उसका त्यागी बनना
तुझको भैया कैसा लगता |
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