Friday, April 10, 2009
एक जूते का करिश्मा,लोकतंत्र में अद्भुत नजारा
पहले एक कहावत थी की एक तीर से दो शिकार परन्तु अब ये लोकोक्ति बदलनी पड़ेगी और कहा जायेगा की एक जूते से दो शिकार ,यानी के पहले तो श्रीमान जगदीश टाइटलर जी का ही टिकिट काटना था परन्तु अब तो श्रीमान सज्जनकुमार जी को भी टिकिट काटकर हाथ में थमा दिया ,आख़िर ऐसी क्या आफत आ गई थी कांग्रेस पार्टी को की चाँद मिनटों में ही जगदीश टाइटलर के साथ साथ सज्जन को भी कहा की जा भाई घर जा के बेठ,कहीं तुम दोनों के चक्कर में पार्टीको सिक्ख कौमीनिटी की वोटो से ही हाथ ना धोने पड़े ,वैसे माननीय सोनिया जी ने बहुत ही जल्दी और बहुत ही अच्छा कदम उठा लिया नहीं तो वास्तविकता यही थी की कहीं सातों सीटो की आस मानकर चलने वाली पार्टी एक या दो सीटों पर ही सिमट कर रही जाती ,यदि इसी प्रकार के निर्णय चुनावों से पहले ही ले लिए जाएँ तो कितना अच्छा और साफ़ सुथरा प्रशासन जनता को मिल जाता और जनता शायद कांग्रेस के ही गुन गाती रहती जैसे की दिल्ली विधान सभा चुनावों में भी देखने को मिला ,मेरे विचारों में यदि कोई भी सत्ताधारी पार्टी अपने समय में जनता को समझे और शीघ्र ही निर्णय लेकर उसके दुःख दर्दों को दूर करे तो शायद ही कोई दूसरी पार्टी अगले चुनावों में अपना प्रभुत्व जमा सके ,वैसे ग्रह मंत्री चिदंबरम साहब की भी जितनी तारीफ़ की जाए वो थोडी ही है चाहे ऐसा उन्होंने मजबूरी में ,या चुनावों की वजह से ही क्योँ ना किया हो और एक पत्रकार को माफ़ कर दिया वैसे तो पत्रकार महोदय भी शर्मशार हैं ,पर सत्ताधारी सरकारया आने वाली सरकारों को ऐसा कुछ अवश्य करना चाहिए की ऐसे जूता फैंकने की घटनाओं की पुन्रावार्त्ती ना हो ,इन सब से सभी को ,पूरे देश को ,और प्रत्येक समुदाय को सबक लेना चाहिए क्योँ की इससे हमारे देश की दूसरे देशो में भर्त्सना की जाती है जिसके कारण हमारा सिर शर्म से झुक सकता है ,वैसे ये भी लोकतंत्र में एक अद्भुत नजारा है इससे ज्ञात होता है की वास्तव में भारत में एक शसक्त लोकतंत्र है जो अपना कार्य सुचारू रूप से कर रहा है ,,
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