Thursday, April 23, 2009

जूते और चप्पलों की बरसात शुरू

जब एक शिक्षित स्त्री ने जज पर चप्पल फेंकी गई थी तो मैंने आशंका व्यक्त की थी किकहीं ये प्रचलन ना बन जाए ,वास्तव में ये ही होना शुरू हो गया ,जनता अपना संतुलन खो चुकी है और संस्कारों को भूल चुकी है क्योंकि नेताओं ,सरकारी अफसरों ,पुलिश सहित ,और सम्पूर्ण न्यायपालिका के क्र्त्यों ,कामकाज करने में ढीलापन ,देरी ,भर्ष्टाचार के कारण अपना मानसिक संतुलन खो चुकी है और इतनी परेशान हो चुकी है कि वो कुछ भी करने को तैयार हैं उसी का कारण है ये जूता तंत्र ,जो कि लोकतंत्र मैं काफ़ी लोकप्रिय हो चुका है अब देखिये पहले एक जूता श्री चिदम्बरम पर ,दूसरा एल के अडवानी पर और तीसरा जूता जिंदल पर और अब चौथा जूता जितन्द्र पर ,लगता है लोगो को अब आदत सी पड़ चुकीहै-aआगे देखिये होता है क्या ,यदि यही हाल रहा तो देश में बदमनी फ़ैल जायेगी ,इससे देश कि इज्जत खाक मई मिल जायेगी ,इसलिए हमको चाहिए कि हम ख़ुद ही जल्द से जल्द सुधर जाए ताकि भविष्य में कोई परेशानी न आए .मेरे अपने विचारों मैं तो ये सब कुछ बहुतही bहयंकर रूप ही धारण ना कर ले जिसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं और लोकतंत्र मैं कहीं जूता तंत्र हीशुरू ना हो जाए जिसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे ,अत;हम लोको को चाहिए कि हम लोग संयम बरतें ,बाकी भला करेंगे भगवान्

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