हमारे लोकतंत्र में एक अच्छी बात होनी शुरू हो गयी है की चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशी को अपनी संपत्ति का एवं आय व्यय का बौरा देना जरूरी कर दिया गया है ,और लगभग सभी प्रत्याशी अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे भी रहे हैं जिनमें काफ़ी लोग ऐसे हैं जो की करोड़पति ही नहीं बल्कि अरबपति भी हैं कितनी अच्छी बात है की भारत सरकार की सत्ता अब किन्ही ऐरे गिरे हाथों में नही बल्कि ऐसे हाथों में हैं जो की बहुत ही सक्षम हैं वो बात अलग है की इतनी बड़ी बड़ी रकमों के बावजूद भी ये नेता गली कूंचे या छोटे -छोटे ग्रामों में घूम -घूम कर ख़ुद को गरीब बताते फ़िर रहे हैं और चुनाव आयोग के तयसुदा रकम से ,कई गुना पैसा पानी की तरह चुनावों में बहा रहे हैं और वो बात भी अलग है कि जन चुनाव के अंत में खर्चा घोषित करेंगे तो वो केवल हजारों और लाखों में होगा ,
पर हमारी समझ में ये नहीं आ रहा कि कोई भी डिपार्टमेन्ट या सरकार अथवा आयकर विभाग ने क्या कभी इन्सबसे ये पूछा है कि भाई तुम सारे दिन तो खद्दर के कुरते पाजामा पहन कर कही धरना कहीं हड़ताल कही बैठकें करते फिरते रहते हो तो ये इतना सारा पैसा तुमने कहाँ से कमा लिया ,तो हमारी चुनाव अधिकारी से प्रार्थना है कि इनसे पिछले ५ वर्षों कि भी आयकर व्यय कर का लेखा जोखा भी मंगवा लें और उस सबको जितने भी प्र्य्ताशी है उन सबके विवरण को किसी न्यूज़ पेपर में पुब्लिश भी करा देन ताकि उनके क्षेत्र कि जनता को पता लगे कि उनके इलाके का विधायक अथवा सांसद कितना लोह पुरूष है और जनता के लिए क्या -क्या कर सकता है ,हो सकता है कि काफ़ी लोग पकड़ में आ जाएँ और देश को भी चुनावों का खर्चा निकल आए
Friday, April 24, 2009
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