Friday, February 12, 2010
हाई कोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस शाह साहब
हाल ही में रिटायर हुए चीफ जस्टिस शाह साहब ने भी माना कि जुडिसरी में भी भर्ष्टाचार व्याप्त है परन्तु ऊपर लेबल पर नहीं .अब हम ऊपर लेबल किसको माने क्या केवल उच्चतम न्यायालय को या किसी और न्यायालय को भी ,जब कि वास्तविकता ये है कि सभी न्यायालयों में करप्सन कंठ तक फेला हुआ है केवल सुप्रीम कोर्ट को छोड़कर ,वो भी में इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि अभी तक मेरा वास्ता उससे नहीं पडा है ,नीचे के कोर्टों से लेकर हाई कोर्ट तक तो में भुक्त चुका हूँ .इन कोर्ट्स मैंने सरकारी वकीलों से लेकर जजों तक को बिकते देखा है वकीलों ,सरकारी वकीलों ,जजों सबमे मिलीभगत है तारीखों पर तारीखें इस लिए दी जाती है क्योंकि जो बड़े सीनियर एडवोकेट है वो एक एक तारीख के पचास हजार से लेकर ५ लाख तक फीस लेते है सो गठबंधन का ज़माना है पर लुट जाता है केस लड़ने वाला बेचारा खैर कहने का तात्पर्य है कि जिस जगह हर आदमी जज को भगवान् और कोर्ट को मंदिर मान कर जाता है वहाँ उसको किस प्रकार लूटकर भिखारी बनाया जा रहा है और इस सबके बावजूद होता क्या है प्रोपर्टी का मालिक जेल जाता है और कब्जा करने या झूठे कागज़ पेश करने वाला बाहर रहकर उसकी जमीन पर कब्जा भी कर लेता है और उसके पीछे वालों को आत्महत्या तक मजबूर कर देते हैं या ह्त्या ही कर देते है इस तरह १ नया मुकद्दमा और कोर्ट में पहुँच जाता है ,इसी प्रकार चोर उचक्के और डाकू बाहर मस्ती से घुमते हैं और शरीफ आदमी जेल में पडा पडा सड़ता रहता है उसकी जमानत भी नहीं होने देते अभियुक्त और पुलिश मिलकर ,कहने का तात्पर्य है कि जुडीसीरी से करप्सन को यदि सरकार मिटाने का प्रयत्न नहीं करेगी तो कोर्ट्स में केसेस कि तादाद भी बदती रहेगी और एक दिन आम आदमी का विश्वास कोर्ट कछेरी से उठ जाएगा
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