Sunday, February 14, 2010
लोकतंत्र है या भौंक तंत्र
जो भी कोई नेता जब किसी पार्टी से निकाला जाता है या खुद निकल जाता है तो वो उस समय इस प्रकार भौंकता है की ये शब्द जिस जानवर के लिए प्रयुक्त किया जाता है शायद वो भी इस प्रकार ना भौंक सके ,आखिर ऐसा क्योँ होता है क्या नेताओं में नैतिकता नाम की कोई चीज नहीं है की जिसके बारे में भी जो चाहा बोल दिया जब भारती जनता पार्टी ने मदनलाल खुराना जी को निकाला तो उन्होंने भी अटल जी या अडवानी जी किसी को भी नहीं बख्शा ,और जब कल्याण जी को निकाला तो उन्होंने भी किसी भी प्रकार जो भी मुंह में आया बक दिया और किस किस को बका ये में नहीं लिखता ,और जब सुश्री ऊमा भारती जी को पार्टी से निकाला तो उन्होंने भी सभी दिग्गज नेताओं के ऊपर अपनी भड़ास निकाली और बाद में जो हाल उनका या अन्यों का हुआ ये तो सभी भारतवासी जानते ही हैं ,इसी प्रकार जब मुलायम जी ने कल्याण जी को अपनी पार्टी में शामिल किया था तो किस किस तरह के कसीदे उन्होंने कहे थे और जब उनको भी मुलायम सिंह जी ने पार्टी से निकाला तो उन्होंने भी कोई कसार नहीं छोड़ी और जब इन पार्टियों को सुश्री मायावती से सरकार बनाने के लिए मदद लेनी होती है तो सभी उनको सुश्री कहते हैं और जब काम निकल जाता है या वो अपना हाथ वापस खिंच लेती है तोगाली भी देने और सु सरी tअक कहने से नहीं चूकते अब जरादेखिये अमरसिंह जी का हाल जिन्होंने लगभग २० वर्ष पार्टी की सेवा की और श्री मुलायम सिंह जी की चमचागिरी भी करने कोई कुताही नहीं बरती ,यदि मुलायम सिंह जी ने रात को दिन कहा तो अमरसिंह जी ने वोही कहा इसी कारण तो उनको राजपूतों का नेता ना होते हुए भी मुलायम सिंह जी ने जबरदस्ती राजपूतों का नेता बनाया और समाजवादी पार्टी का माहासचिव जैसा मुख्य पद दिया ,जितना सम्मान वो दे सकते थे उससे भी अधिक सम्मान दिया परन्तु ना किसी बात को लेकर बात का बतंगड़ बना कर खडा कर दिया और पार्टी के विरुद्ध शुरू हो गए यद्यपि उनको मनाने के लिए मुलायम सिंह जी ने भरसक प्रयत्न भी किये पर कहते हैं की विनाशकाले विपरीत बुद्धि ,और आज तो वो उनको हरी घास का हरा सांप तक कह रहे है और आगे तक ना जाने क्या क्या कहंगे अब तो उनको केवल नाचने गाने वालों का ही सहारा है अब देखते हैं किम कहीं वो भी राहुल महाजन की तरह उनकी मित्रमंडली में मिलकर और राजनीति छोड़कर सीरियल ही ना बनाने लगे भगवान् ही जाने ,वैसे राजनीति में तो उनका किसी भी विशेष जाती कास्ट में वर्चस्व हे नहीं ,इस मामले में कांग्रेस फिर भी बहुत सही है वहाँ पर कोई बकवास तो नहीं करता या कान नहीं फट फटा टा ये तो कहते है की जिसे सोनिया मैया कहेंगी हम तो वैसा ही करेंगे या पार्टी में रहकर पार्टी की सेवा करेंगे ,इसका मतलब कुछ नैतिकता तो है ,तो भाई में तो यही कहूंगा की आज भारत में लोकतंत्र ना होकर भौंक तंत्र का बोलबाला है
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1 comment:
भौंकतंत्र ही सही शब्द है इनकी हरकतें देखते हुए.
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