Monday, July 19, 2010

न्यायालयों में सी ,सी ,टी,वी कैमरे/ रिकार्डिंग

जनता जनार्दन और चीफ जस्टिस ,एवं सरकार नहीं जान पाती जो कि न्यायालय के बंद कमरे में होता है यदि उसको पूरी तरह उजागर करना है और पारदर्शी बनाना है तो सरकार को चाहिए कि वो उसकी ,क्या बल्कि प्रत्येक केस कि रिकार्डिंग होनी चाहिए कि वहाँ प़र वकील और जज क्या क्या बोलते हैं और कैसा फैसला देते है क्योंकि ज्यादातर लोगों को यही शिकायत रहती है कि अन्दर क्या होता है या हो रहा है वो नहीं जान पाते यदि भविष्य में किसी को शिकायत हो तो क़ानून कि रक्षा या उस व्यक्ति के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए सभी न्यायालयों के सभी कमरों में सी सी टी वी कैमरे लगे होने चाहिए ,ताकि किसी को शिकायत होने प़र उसको कोर्ट कि पूरी कार्यवाही से परिचित कराया जा सके ,
यदि ऐसा करा दिया गया तो उसके क्या क्या लाभ होंगे
१ भर्ष्टाचार को समाप्त करने में मदद मिलेगी क्योंकि अक्सर देखा गया है कि कोर्ट में ,जज से नीचे के कारिंदे जज साहब कि मौजूदगी में ही थोड़ा सा इधर उधर को होकर या हाथ नीचे ऊपर करके ,भ्रष्टाचार को बढावा देते रहते हैं ,इसपर लगाम लगेगी जो आज के युग में सबसे बड़ा और गंभीर मुद्दा है ,
२ अक्सर सरकारी वकील और दुसरे वकील भी जज के सामने मैं मुद्दे से हट कर अलग कि बाते करते हैं और उनका व्यवहार भी कभी कभी चिताजनक होता है ,शालीनता नाम कि चीज नहीं बच पाती ,जो दिल में आता है वो जज को भी बोल देते हैं ,
३ कभी कभी देखने में आया है कि जज भी आज कुछ बोलते हैं और अगले दिन और कोई बात बोलने लगते हैं ,जैसे मैं एक उदाहरण पेश कर दूँ कि एक केस में जज जी ,एस सस्तानी जी ने पहले दिन कहा कि कल तुम जी ,पी ,ऐ ,और हाउस टैक्स कि रसीदे और बिजली पानी के कागज़ ले आओ तो मैं तुमाहारी बेल का निपटारा कल ही कर दूंगा ,और जब अगले दिन सभी लोग सभी वकील ,आई ,ओ ,उनके कोर्ट में पहुंचे तो वो साफ़ मुकर गये कि उन्होंने तो किसी को नहीं बुलाया और सबको ताल दिया ,यदि वहाँ प़र कमरे लगे होते तो ये सबकी नौबत ही नहीं आती
और भी बहुत सी ऐसी बाते हैं जिनके ऊपर जज महोदय अमल नहीं करते और ना जाने कितने ही शरीफ और सम्मानीय व्यक्तियों के साथ चोर और बदमाशों के साथ जैसा व्यवहार केवल ये सोच कर ,करते हैं कि क्योंकि वो किसी आई ,ओ अथवा किसी ओफ्फिसर कि मनमानी का शिकार होकर जज साहब के सामने अपराधी के रूप में खडा है जब कि वास्तव में वो अपराधी नहीं है ,उस व्यक्ति को किसी भी कोर्ट में बोलने तक का अधिकार नहीं है ,कि वो अपनी सही बात जज को कह सके ,उसे पहले ही वकीलों और पुलिश वालों के द्वारा मुंह बंद करने का निर्देश होता है ,यद्यपि आजकल कोर्ट्स में मिडीएशन का दौर है ,परन्तु वो सफल नहीं हैं क्योंकि उसका कोर्ट कि कार्यवाही प़र कोई असर नहीं पड़ता ,दूसरा मुख्य कारण होता है कि वकील अपने अपने क्लाइंट को पहले ही बता देते हैं कि वहाँ कुछ नहीं होना इस लिए तुम अपनी बात प़र अड़े रहना तो भला फैसला कैसे होगा इस लिए अधिकतर केसेस में असफलता ही हाथ लगती है ,और रिकार्डिंग ना होने कि वजह से क्लाइंट और उसका वकील जो आज बोलता है अगले दिन मुकर जाता है
४ न्यायालयों में बहुत सारे जज ऐसे भी हैं जिन के भाई ,बंधू मित्र और बापू श्री तक उन ही न्यायालयों में आफिसर हैं अथवा प्रक्टिस करते हैं और ये बात सभी जानते है और इन सबका फायदा ये खूब उठानाजानते हैं जिससे कि न्याय प्रकिर्या में दोष उत्त्पन्न हो जाते हैं और न्याय मांगने वाले को ठीक न्याय नहीं मिल पाटा

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