सभी क्रिमिनल केस स्टेट के अंतर्गत आते हैं ,उनके लिए पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त होते हैं जिनका कार्य सरकार कि तरफ से मुकद्दमा लड़ना होता है और प्रत्येक क्रिमनल व्यक्ति की बेल रुकवाना या सम्पूर्ण मुकद्दमे कि पैरवी करना होता है ,प़र आज प्रचलन में है कि सामने वाली पार्टी भी एक एक नहीं बल्कि कई कई वकील अपने सामर्थ्य के अनुसार खड़े कर देता है ,जो कि पूर्णतया गलत है क्योंकि इन बाहरी वकीलों का काम मुकद्दमे को उलझाना होता है और दूसरा काम अपराधी व्यक्ति के बेल को रुकवाकर ,उस व्यक्ति कि समाज में बेइज्जती करता है और झूठ बोलकर ,न्यायालय का कीमती वक्त बर्बाद करता है ,इसलिए मेरी सरकार से प्रार्थना है कि इस सबको बंद किया जाए और जैसा कि पहले था कि कोर्ट में केवल सरकारी वकील ही मुकद्दमा लड़ता था और दूसरा वकील बचाव पक्ष का होना चाहिए ,इससे ज्यादा कि जरूरत भी नहीं है ,tabhi लोकतंत्र कि रक्षा ho सकेगी वरना तो desh का लोकतंत्र से विश्वास ही उठ जाएगा क्योंकि इससे तो केवल पैसे वाला आदमी अधिक वकील करके ना तो गरीब आदमी कि बेल होने देगा और नाही कभी केस जीतने देगा ,
मैं खुद एक ऐसे आदमी को जानता हूँ जो कि खुद बहुत बड़ा क्रिमिनल है ,प़र वो शरीफ आदमियों कि प्रापर्टी हड़पने के लिए या ब्लैक मेल करने के लिए उनपर केस बनवा देता है जोकि दिल्ली में आसानी से हो जाता है पुलिश वाले पैसे लेकर शरीफ आदमियों प़र ही क्रिमिनल केस दायर करते है ,और फिर ये आदमी कोर्ट कई कई वकील पैसे के बल प़र खडा करके उनकी जमानत भी नहीं होने देता ,पुलिश ,वकील और ये प्रापर्टी ग्राब्बर ,तीनो मिलकर उस शरीफ आदमी को टाँगे रखते है और जज महोदय को समझ नहीं आने देते कि वो क्या करे ,क्योंकि ऍफ़ ,आई ,आर ,भी ऐसे तोड़ मरोड़ कर बनाई जाती है कि जो केस को सुलझने ही नहीं देती ,धाराएं भी इतनी भयंकर लगा देते हैं कि जज साहब समझते हैं कि सामने खडा व्यक्ति बहुत बड़ा अपराधी है जब कि वो व्यक्ति समाज का सम्मानित व्यक्ति होता है ,प़र जज साहब तो पुलिश वाले कि रिपोर्ट को ही देखते हैं और बेल केंसिल करते जाते हैं जिससे कि वो व्यक्ति जेल में ही सड़ता रहता है और जब इन लोगों का काम हो जाता है तो उस केस को ढीला छोड़ देते हैं
Tuesday, July 20, 2010
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