किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद पुलिश एक डिस्क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में एम् एम् ,या जज के सामने पेश करता है ,उक्त व्यक्ति को गिरफ्तार करने का ब्योरा और कारण एवं धाराए लगी होती है ,जिसके बारे में सभी जानते है कि एक आई ,ओ ,उस रिपोर्ट को पैसे का वजन देखकर बनाता है ,उसमे वो महाशारिफ या जिसने कभी जीवन में क्राइम भी नहीं किया ,जिसका दूर दूर तक गलत लोगो या क्रिमिनलस से कोई ताल्लुक भी नहीं होता ,उस आदमी को भी एक क्रिमिनल के कहने भर मात्र से पैसे खाकर ,बिना कोई जांच पड़ताल के बहुत बड़ा क्रिमिनल बना देता है ,वो ये भिऊ देखने कि कोशिश नहीं करता कि उसका समाज में क्या सम्मान है अथवा बिजनेस में क्या गुड विल है ,या जिस प्रापर्टी के लिए उसको अभियुक्त बनवा रहा है वो उसी किप्रापर्टी है ,इसमें सबसे बड़ा कारण होता है कि वो उसको पैसे नहीं देता ,मेरे हिसाब से तो दिल्ली में ज्यादातर रिपोर्ट ऐसे ही तैयार होती हैं ,तो ये रिपोर्ट पुलिश वाला कोर्ट में तो जमा करता है प़र उसकी कापी उस व्यक्ति को नहीं दी जाती ,ये कौन सा नियम है जब कि सिविल कोर्ट में प्रत्येक कागज़ कि कापी सामने वाले यानी के दूसरी पार्टी को दी जाती है जिसको देखकर वो अपना जवाब पेश करता है
जब अभ्बियुक्त को डिस्क्लोजर रिपोर्ट कि कापी ही नहीं मिली तो फिर वो या उसका वकील उसके बचाव में क्या कहेगा ,वो तो केवल हवा में ही तीर चलाएगा ,क्योंकि वो नहीं जानता कि आई .ओ ने उसके बारे में क्या क्या लिखा है ,इसका नतीजा होगा कि एक शरीफ आदमी को एम् ,एम् ,या जज जमानत ही नहीं देगा और जबरदस्ती उस आदमी को जेल में ठूंस दिया जाएगा ,इसका मतलब है कि हर आदमी को जेल कि हवा तो खानी ही पड़ेगी ,ये कहाँ का न्याय है क्या ये मानव के मूल अधिकारों का उलन्घ्घन नहीं है में तो इसको सरासर अन्याय ही कहूंगा
अंत में मेरी सरकार और न्याय पालिका से यही गुहार है कि डिस्क्लोजर रिपोर्ट कि १ कापी बेल लेने के लिए अभियुक्त को भी दी जाय ताकि उसको न्याय मिल सके ,और जो धाराएं उस प़र लगाईं गई है उसकी भी व्याख्या आई ,ओ से करानी चाहिए कि क्या वो धाराएं अभियोक्त प़र एप्लीकेबल भी हैं या नहीं,या किसी शरीफ आदमी को पुलिश फंसा ही तो नहीं रही ,क्योंकि पुलिश चाहे कहीं कि भी हो उसके बारे में जनता सबकुछ अच्छी तरह जानती है
मेरे विचारों में शायद ये ही लोकतंत्र और लोक हित में होगा, जिससे कि लोकतंत्र और मानव अधिकारों कि भी रक्षा हो सकेगी ,और न्याय पालिका को भी फैसले देने में आसानी होगी ,और अभियुक्त को बेल लेने में आसानी होगी और जब बेल मिल जायेगी तो जेलों कि कमीभी नहीं पड़ेगी
Saturday, July 24, 2010
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1 comment:
चौहान जी मुझे नहीं लगता की हर मामले की गिरफ़्तारी में डिस्क्लोजर रिपोर्ट अपराधी को नहीं देने का प्रावधान होगा | हाँ कुछ मामले में ऐसा प्रावधान जरूर होगा | आप ठीक से इसका पता लगायें और हो सके तो RTI से इस बाबत जानकारी लेने की कोशिस करें | और अगर उसमे भी इस बात की पुष्टि होती है तो निश्चय की यह गंभीर रूप से मानवीय अधिकारों का हनन है और इसके लिए PIL भी दायर की जा सकती है और आन्दोलन भी चलाया जा सकता है |
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