Tuesday, January 14, 2014

फर्क क्या है लोकतंत्र में

कोंग्रेसी जो खाते भी हैं
और खिलाते भी हैं
अपने कार्य कर्ताओं को
खुली छूट फरमाते हैं ,
जो एक बार इनसे जुड़ गय
जाने का नाम नहीं लेता
जितना ना कमाता जीवन में
उतना एक साल में कमा लेता।
भाजपाई खुद तो खूब   खाते हैं
पर ना किसी को खिलाते हैं
अपने कार्यकर्ताओं को भी
खाने पर ठेंगा दिखाते हैं
कार्य कर्ता मनमसोस रह जाते हैं
मौके कि तलाश में रहते हैं
और जैसे ही मौका मिला
पार्टी छोड़ कर चले जाते हैं।
आप पार्टी वाले नए नवेले हैं
अभी तो गांधी जी के चेले हैं
अभी खाना पीना तो दूर
खाना देखकर भी बिदक जाते हैं ,
आज कोंग्रेसियों से उनका मेला हैं
खरबूजा देख खरबूजा रंग बदलता है
जिस दिन ये भी रंग बदल लेंगे
भ्रष्टाचार मिटाने से तौबा कर लेंगे
अब राहुल जी भी भ्रष्टाचार मिटायेंगे
भाजपा जोड़ तोड़ कि सरकार नहीं बनाएंगे
जब आप के काम ये ही कर लेंगे
तो केजरीवाल जी फिर कहाँ जायेंगे |

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