आदरणीय केजरीवाल जी से दिल्ली के सभी व्यापारियों की प्रार्थना है की वो अपने वायदे के अनुसार जल्दी से जल्दी वेट में संसोधन कर ,सरलीकरण करें जो की निम्नलिखित हैं |
वेट डिपार्टमेंट के भूतपूर्व कमीशनर श्री राजेंद्र कुमार जी ने दिल्ली के उन लाखों व्यापारियों के रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिए थे जिनका मात्र दोष था की उन्होंने पिछले कुछ समय की वेट रेटर्न नहीं भरी थी ,जिसके कारण हजारों व्यापारियों का बिज़नस ही बंद हो गया और वो बर्बाद हो गये और जब वो रजिस्ट्रेशन बहाल कराने के लिएम गये तो उनसे लाखों रूपये मांगे जाते हैं और वर्त्तमान कमीशनर प्रशांत गोयल भी उसमे कुछ ख़ास मदद नहीं करते वो मात्र अपील करने को कहते हैं एडिशनल कमीशनर को ,ओर वो भी मनमर्जी से काम करते हैं ,बिना सी ,ऐ ,या अधिवक्ता के केस करने को तैयार नहीं होते ,तो सर्वप्रथम तो इन बेचारों की समस्या का समाधान किया जाए |
दिल्ली में वेट रेटर्न को तिमाही ही rakhaa जाए |
वेट भी तीसरे महीने में रेटर्न के साथ ही जमा कराने का प्रावधान किया जाए जो की अभी महीनेवार है क्योंकि दिल्ली सम्पूर्ण बिज़नस उधारी का है जो की ३ महीने तक का उधार है तो व्यापारी को वेट भी तीसरे महीने में ही मिलता है ,जब माल का पैसा और वेट दोनों ही ३ महीने में मिलते हैं तो बताइये कि व्यापारी भला वेट प्रत्येक महीन में कैसे जमा करा सकता है ,
जब एक व्यापारी पूरा वेट देकर माल खरीदकर लाता है तो फिर स्टॉक से वेट विभाग का क्या मतलब है पर वेट विभाग कहता है की उनको प्रत्येक महीने का स्टॉक का हिसाब भी चाहिए जो की एक खुदरा और छोटे व्यापारी के लिए छोटी छोटी दुकानों में प्रति माह हिसाब रखना और वो भी १०० ,या २०० प्रकार के मालों का ,यदि दुकानदार ऐसा नहीं करता तो उनकी दुकानों पर पहुँच कर व्यापारी को ह्रास किया जाता है या उनसे लाखों में पैसे वसूले जाते हैं पेनल्टीएस २०० % तक लगाईं जाती है ,तो इससे भी निजात दिलाई जाय
ऑडिट कराने का अमाउंट कम से कम ३ करोड़ की सेल राखी जाए
जब वेट ऑनलाइन जमा करा दी जाती है तो फिर हार्ड कॉपी की क्या जरुरत है जिसके कारण व्यापारी को double काम karnaa padtaa है
वेट डिपार्टमेंट के भूतपूर्व कमीशनर श्री राजेंद्र कुमार जी ने दिल्ली के उन लाखों व्यापारियों के रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिए थे जिनका मात्र दोष था की उन्होंने पिछले कुछ समय की वेट रेटर्न नहीं भरी थी ,जिसके कारण हजारों व्यापारियों का बिज़नस ही बंद हो गया और वो बर्बाद हो गये और जब वो रजिस्ट्रेशन बहाल कराने के लिएम गये तो उनसे लाखों रूपये मांगे जाते हैं और वर्त्तमान कमीशनर प्रशांत गोयल भी उसमे कुछ ख़ास मदद नहीं करते वो मात्र अपील करने को कहते हैं एडिशनल कमीशनर को ,ओर वो भी मनमर्जी से काम करते हैं ,बिना सी ,ऐ ,या अधिवक्ता के केस करने को तैयार नहीं होते ,तो सर्वप्रथम तो इन बेचारों की समस्या का समाधान किया जाए |
दिल्ली में वेट रेटर्न को तिमाही ही rakhaa जाए |
वेट भी तीसरे महीने में रेटर्न के साथ ही जमा कराने का प्रावधान किया जाए जो की अभी महीनेवार है क्योंकि दिल्ली सम्पूर्ण बिज़नस उधारी का है जो की ३ महीने तक का उधार है तो व्यापारी को वेट भी तीसरे महीने में ही मिलता है ,जब माल का पैसा और वेट दोनों ही ३ महीने में मिलते हैं तो बताइये कि व्यापारी भला वेट प्रत्येक महीन में कैसे जमा करा सकता है ,
जब एक व्यापारी पूरा वेट देकर माल खरीदकर लाता है तो फिर स्टॉक से वेट विभाग का क्या मतलब है पर वेट विभाग कहता है की उनको प्रत्येक महीने का स्टॉक का हिसाब भी चाहिए जो की एक खुदरा और छोटे व्यापारी के लिए छोटी छोटी दुकानों में प्रति माह हिसाब रखना और वो भी १०० ,या २०० प्रकार के मालों का ,यदि दुकानदार ऐसा नहीं करता तो उनकी दुकानों पर पहुँच कर व्यापारी को ह्रास किया जाता है या उनसे लाखों में पैसे वसूले जाते हैं पेनल्टीएस २०० % तक लगाईं जाती है ,तो इससे भी निजात दिलाई जाय
ऑडिट कराने का अमाउंट कम से कम ३ करोड़ की सेल राखी जाए
जब वेट ऑनलाइन जमा करा दी जाती है तो फिर हार्ड कॉपी की क्या जरुरत है जिसके कारण व्यापारी को double काम karnaa padtaa है
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