Friday, January 17, 2014

दिल्ली के उपराजयपाल

कल और परसों दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के बीच का झगड़ा या खींचतान या अहम् आज दिल्ली के उपराजयपाल जी के पास पहुंचा जिसमे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंदकेजरीवाल ,मनीष सिसोदिया और  अपने अन्य मंत्रियों के साथ ,उपराजयपाल जी के पास गये थे दिल्ली कि सुरक्षा को लेकर ,पुलिस का बर्ताव उनके साथियों और जनता के साथ हुआ , को लेकर उन  पुलिस वालों को  ससपेंड कराने के लिए गये थे ,उसी के साथ साथ दिल्ली पुलिश के कमिश्नर भी अपने लाव लश्कर को साथ लेकर उपराजयपाल जी के पास पहुँच गये और उनको जाकर कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्री पुलिश के साथ बदतमीजी करते हैं और भी कुछ केजरीवाल सरकार के मंत्रियों के खिलाफ कहा होगा जिसको सुनकर उपराजयपाल जी ने चारों  पुलिश वालों को ससपेंड करने से मना कर दिया और इन्क्वारी कराने का वचन दे दिया जो कि मात्र केजरीवाल जी को टालने वाली बात है ,परन्तु मैं केजरीवाल जी को एक बात बता दूँ कि दिल्ली पुलिश वालों के बारे में जो हालत दिल्ली सरकार कि है ठीक वो ही हालात उपराजयपाल जी की भी हैं इस लिए उन्होंने केजरीवाल जी को टॉल दिया ,और निष्कर्ष निकला" ढाक के तीन पात "जिसके कारण कमिश्नर साहब तो वहाँ से चौड़े होकर निकले क्योंकि उनको वैसे भी पता था कि उपराजयपाल जी बिना ऊपर के हुक्म के कुछ भी नहीं कर सकते ,पर केजरीवाल जी नहीं जानते थे कि ऐसा भी होता है ,इसीलिए वो उपराजयपाल हाउस से छोटे होकर निकले ,यानि कि हाथी कि मौत चींटी के हाथों हो गई ,ये ही तो राजनीति है
अब सवाल उठता है कि दिल्ली कि गरीब जनता कि कौन सुनेगा ,केजरीवाल जी कि और उपराजयपाल जी कि तो पुलिश सुनेगी नहीं क्योंकि इन दोनों के अंदर दिल्ली पुलिस आती ही नहीं होगी तभी तो दिल्ली का पुलिस कमिश्नर कि हेंकड़ी देखने लायक थी ,इस सबके होने के बाद तो लगता है कि अब दिल्ली में चोरी ,डकेती ,बदमाशी, रेप ड्रग्स ,मर्डर कम नहीं होंगे बल्कि बढ़ते ही रहेंगे ,और ये ही कारण है कि दिल्ली में ये सब कुछ रुकने का नाम ही नहीं ले रहे ,अब तो दिल्ली का मालिक भगवान् ही है
अब केजरीवाल जी के पास एक ही रास्ता है कि वो शिंदे साहब से मिलें और दिल्ली पुलिस से निपटें और यदि वो भी उनकी सहायता नहीं करते तो फिर जनता के बीच जाकर साफ़ शब्दों में कह दें कि दिल्ली पुलिश से निपटना उनके बस्का नहीं क्योंकि वो उनके अंतर्गत नहीं हैं ,या फिर जंतर मंतर या रामलीला मैदान में जाकर एक बार फिर धरना या भूख हड़ताल जनता के हेतु जो भी करना पड़े करें और दिल्ली पुलिश को दिल्ली सरकार के अंतर्गत कराएं ताकि आप उनसे निबट सकें |

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