जिस देश में लगभग ५० करोड़ या इससे अधिक महिलाये (फीमेल )हों और उनकी सुरक्षा के लिए वहां की सरकार मात्र १०० करोड़ रूपये का प्रावधान रखती हो ,और कुछ वी आई पी, यौं के लिए ५०० से १००० करोड़ रुपया खर्च करने का प्रावधान रखती हो तो वहां आप क्या उम्मीद कर सकते हैं ,
ऐसी घटनाओं के कारण हमको भारतीय कहने में भी शर्म आती है ,
हम अपनी बेटियों को दुसरे देशों या अपने देश के शहरों में नौकरी या बिज़नेस करने के लिए नहीं भेजते ,सोचते हैं की वहां क्या होगा ,परन्तु जब अपने ही देश में अब उनकी इज्जत ,मानसम्मान ही सुरक्षित नहीं है तो क्या किया जाए ,क्या उनको घर में बुरका पहिना कर ही रखें ,
जब तक देश में गल्फ कन्ट्रीज की भांति कड़े और सख्त नियम नहीं बनाये जाते तब तक ये सिलसिला रुकने वाला ही नहीं लगता ,
मेरे हिसाब से तो ऐसे लोगों को बजाय न्यायालय के द्वारा दंड देने के इन दोषियों को जनता को सौंप देना चाहिए वो उनके साथ कुछ भी करे ,जो चाहे दंड दे ,उसी पर छोड़ देना चाहिए |
ऐसी घटनाओं के कारण हमको भारतीय कहने में भी शर्म आती है ,
हम अपनी बेटियों को दुसरे देशों या अपने देश के शहरों में नौकरी या बिज़नेस करने के लिए नहीं भेजते ,सोचते हैं की वहां क्या होगा ,परन्तु जब अपने ही देश में अब उनकी इज्जत ,मानसम्मान ही सुरक्षित नहीं है तो क्या किया जाए ,क्या उनको घर में बुरका पहिना कर ही रखें ,
जब तक देश में गल्फ कन्ट्रीज की भांति कड़े और सख्त नियम नहीं बनाये जाते तब तक ये सिलसिला रुकने वाला ही नहीं लगता ,
मेरे हिसाब से तो ऐसे लोगों को बजाय न्यायालय के द्वारा दंड देने के इन दोषियों को जनता को सौंप देना चाहिए वो उनके साथ कुछ भी करे ,जो चाहे दंड दे ,उसी पर छोड़ देना चाहिए |
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