मेरे देश की भेड़ों के
एक दबंग समूह ने
विचार विनिमय से
आपसी समन्वय से ,
एक चुप्पू भेड़िये को
अपनी ही खाल में देख
अपना हितैषी जान
अपना ही बना लिया,
प्रारम्भ में बोलता था
आवाज भेड़ों सम थी
समय के साथ साथ
उसमे अंतराल आ गया ,
फिर आब देखा ना ताब
सभी को मुर्गा बना दिया
अपना तो उदर भर लिया
बाकी को ठेंगा दिखा दिया ,
एक दबंग समूह ने
विचार विनिमय से
आपसी समन्वय से ,
एक चुप्पू भेड़िये को
अपनी ही खाल में देख
अपना हितैषी जान
अपना ही बना लिया,
प्रारम्भ में बोलता था
आवाज भेड़ों सम थी
समय के साथ साथ
उसमे अंतराल आ गया ,
फिर आब देखा ना ताब
सभी को मुर्गा बना दिया
अपना तो उदर भर लिया
बाकी को ठेंगा दिखा दिया ,
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