Tuesday, December 13, 2016

khodi ram

एक गाँव में को गुजर कर  कुछ फ़क़ीर जा  रहे थे  देखकर गाव वालों को लगा कि ये फ़क़ीर  तो नहीं लग रहे क्योँकि उन्होंने  बहुतं शानदार मखमल और मलमल के वस्त्र धारण किये हुए थे जिनको गेरुए रंग से रँगा गया था ,और उनके चेहरे मरे हुए कुत्तों  भांति लटक रहे थे ,  जबकि फकीरों के चेहरे पर तो गम्भीरता ,तेज विधमान होता है ,अत: उन्होंने अपने विचारों की  सत्यता जान्ने हेतु उनको रोककर पूछा ,बाबा  आप कौन हैं  आपका नाम क्या है ,
उनमे जो बाबा आगे आगे  चल रहे थे शायद उनसबके गुरु थे ,बोले भाई मेरा नाम खोदी राम है ,
गाव के लोग बोले बाबा ये कैसा नाम है ,अभी आप सभी के बारे में जान लो ,नाम की कहानी बाद में बताऊंगा ,और  बाकी बाबाओं के नाम ,
जी ये केतली जी हैं और दुसरे हैं नागनाथ , और तीसरे हैं नोडू
इस प्रकार मेरा नाम है खोदी ,क्योँकि मैंने  अपनी कब्र खुद ही खोद ली ,और फ़क़ीर बन झोली उठाकर जंगलो  में जा रहा हूँ ,
और दुसरे हैं केतली जी ये  सदा मेरे साथ केतली बने रहे जैसे की जो भी मैंने इनमे कुछ भरा ये  उसे जनता को पेल देते थे ,
अब देखिये नाग नाथ जी ये सदा नाग की भांति फुंकार मारते  रहते थे ,करते धरते कुछ नहीं थे।
 चौथे हैं नोडू ,ये नोडू नोडू करते रहते थे ,दांत भीचकर बोलते   रहतेथे ,इनकी ना जनता सुनती थी और नाही मैं
अब हम अपने बुरे कर्मों का प्रायश्चित  हेतु वनों में  जा रहे हैं अब हमको कम से कम १४ या १५ वर्ष का वनवास तो भोगना ही पडेगा फिर कहीं जनता भूल पायेगी
एक कहावत है
जैसी करनी जो करे वैसा ही फल पाए
बोये पेड़ बबूल के तो आम कहाँ से खाये,
या काठ की बार बार नहीं चढ़ती

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