पिछले ३ वर्ष में भारत में जो लोकतंत्र है उसकी दशा कितनी दयनीय ,अनिर्णीत,यथार्थहीन ,तथ्यहीन ,अवसादपूर्ण ,अनादरपूर्ण ,सुपरिस्तिथि हीन ,मानसिक उद्विग्नतापूर्ण या चिंताजनक है और जिसके महानायक हैं हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ,जिन्होंने आगे बगाहे कितनी ही बार प्रोटोकाल तक को तोड़ दिया क्या ये संविधान के अंतर्गत है ,ऐसी स्तिथि विगत वर्षों में शायद ही किसी ने भारत में देखि होगी |
Friday, April 21, 2017
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