Friday, August 11, 2017

vyngy

पिछले कुछ दिनों से, 
जितनी भीड़ मयखानों में है 
उतनी भीड़ दावतखानों में नहीं 
शायद जरूरत है गम भुलाने की 
 उतनी चिंता रोटी खाने की नहीं | 






मोदी राज ने कुछ दिया तो नहीं 
पर बचा कुचा शकुन भी छीन लिया
नित नए स्वांग रचे जा रहे हैं 
 शांति का कहीं  नामों निशाँ नहीं | 




अब तो बेगैरत हो गए हैं  हम 
संस्कारों का तो नामो निशाँ नहीं
मुंह में जो भी आया बक देते हैं 
इंसानियत से कोई सरोकार नहीं |  


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