स्मृतियाँ
क्योँ न हम जिंदगी के उन हसीं लम्हों को संजो कर रखे
जो कभी हमारे थे और जिनके सहारे आज भी जी रहे हैं
आज भी उनकी मादक खुशबू ,हमाए नथुनों में समाई है
जिसकी सूंघ के सहारे ,रात भर चैन की नींद ले लेते हैं
क्योँ न हम जिंदगी के उन हसीं लम्हों को संजो कर रखे
जो कभी हमारे थे और जिनके सहारे आज भी जी रहे हैं
आज भी उनकी मादक खुशबू ,हमाए नथुनों में समाई है
जिसकी सूंघ के सहारे ,रात भर चैन की नींद ले लेते हैं
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